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तीन तलाक: सरकारी कर्मचारियों पर लागू नहीं होता मुस्लिम पर्सनल लॉ !

लखनऊ. आर्म्ड फोर्सेज़ ट्रिब्यूनल के लखनऊ बेंच ने कहा है कि सरकारी कर्मचारियों पर मुस्लिम पर्सनल लॉ लागू नहीं होता. आर्म्ड फोर्सेज़ ट्रिब्यूनल ने एक ऐतिहासिक फैसले में तीन तलाक को इस्लाम, संविधान और देश के कानून के खिलाफ बताया है और कहा है कि तीन तलाक के बावजूद पीड़ित महिला को गुजारा भत्ता पाने का हक है.
क्या है मामला?
आर्म्ड फोर्सेज़ ट्रिब्यूनल की लखनऊ बेंच में लांस नायक फरूर उर्फ फारूक़ खान ने 2012 में अपील की थी. सेना में दर्ज़ी ट्रेड में नौकरी कर रहे फरूर की शादी बरेली की अर्शी जहां से हुई थी, लेकिन शादी के बाद ही दोनों में झगड़ा शुरू हो गया. फरूर ने अपनी पत्नी को तीन तलाक दे दिया.
अर्शी ने तलाक के बाद आर्मी एक्ट के तहत गुजारा भत्ता देने की मांग की थी, जिसे सेना ने मंजूर कर लिया. लांस नायक फरूर खान ने गुजारा भत्ता देने के फैसले को आर्म्ड फोर्सेज़ ट्रिब्यूनल में चुनौती दी थी. फरूर की दलील थी कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के हिसाब से उसका तलाक हो चुका है और मुस्लिम पर्सनल लॉ में तलाकशुदा बीवी को सिर्फ 3 महीने तक गुजारा भत्ता देने का प्रावधान है.
ट्रिब्यूनल ने क्या कहा?
लांस नायक फरूर खान की अपील पर सुनवाई करते हुए ट्रिब्यूनल के जस्टिस डीपी सिंह और एयर मार्शल अनिल चोपड़ा की बेंच ने कुरान, संविधान, अंतर्राष्ट्रीय कानून और धर्मग्रंथों का हवाला दिया. ट्रिब्यूनल ने कहा कि तीन तलाक इस्लाम के खिलाफ है और पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देशों ने इस प्रथा को खत्म कर दिया है. ट्रिब्यूनल ने कहा कि तीन तलाक संविधान और देश के कानून के भी खिलाफ है. देश में सरकारी कर्मचारियों पर सिर्फ देश का कानून और संविधान लागू होता है, कोई पर्सनल लॉ लागू नहीं होता.
बिना रज़ामंदी के तलाक कैसे?
ट्रिब्यूनल ने ये भी सवाल उठाया है कि अगर मुस्लिम पर्सनल लॉ में महिला की रज़ामंदी के बिना शादी नहीं हो सकती, तो फिर तलाक एकतरफा कैसे हो सकता है? ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में ये टिप्पणी भी की है कि मुस्लिम समाज में शादी को संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) माना गया है, फिर कोई कॉन्ट्रैक्ट एकतरफा कैसे तोड़ा जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट में भी तीन तलाक
तीन तलाक को खत्म करने के लिए तीन याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन हैं. पहली याचिका उत्तराखंड के काशीपुर की सायरा बानो की है, जिन्हें उनके पति ने चिट्ठी भेजकर तलाक दे दिया है. दूसरी याचिका जयपुर की आफरीन की है, जिन्हें उनके पति ने स्पीड पोस्ट से तलाक दिया है. तीसरी याचिका हाल ही में तमिलनाडु की पूर्व विधायक बदर सईद ने दाखिल की है. मुस्लिम महिलाओं का एक बड़ा समूह मांग कर रहा है कि तीन तलाक खत्म किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.
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