नई दिल्ली. देश के 10 राज्य भयंकर सूखे की मार झेल रहे हैं. जहां एक ओर इन राज्यों में रहने वाले लोग सूखे से पीड़ित है, वहीं इन राज्यों के आय के साधन भी प्रभावित हुए है. अब खबर आ रही है कि अर्थव्यवस्था पर भी इसका व्यापक असर हो सकता है. ईटी में प्रकाशित एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार दस राज्य में भीषण सूखे से ग्रस्त हैं. जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर कम से कम 6.50 लाख करोड़ रुपए का असर पड़ सकता है. इन राज्यों के 256 जिलों में 33 करोड़ लोग बहुत मुश्किल हालात का सामना कर रहे हैं.
महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में कमजोर मानसून के लगातार दो साल से जलस्तर काफी नीचे चला गया है. जलाशय तो काफी पहले सूख चुके हैं. रिपोर्ट में आगे लिखा है कि देश की अर्थव्यवस्था पर सूखे का असर अगले छह माह और रहेगा. सरकार और मौसम विभाग ने सामान्य मानसून की संभावना व्यक्त की है. यदि ऐसा होता है तो भी परिस्थितियां सामान्य करने में संसाधन लगेंगे और वक्त भी खर्च होगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि इस साल मानसून सामान्य रहता है तब भी सूखे का प्रभाव कम से कम छह महीने तक बना रह सकता है. जमीनी स्तर पर हालात में सुधार आने में इतना समय लगता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि यह माना जाए कि सरकार 33 करोड़ प्रभावित लोगों पर अगले एक-दो महीने तक प्रति व्यक्ति पानी, भोजन और स्वास्थ्य पर 3,000 रुपए खर्च करती है तो इससे अर्थव्यवस्था पर प्रति माह 1,00,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ने का अनुमान है. इसके अलावा बिजली, उर्वरक और अन्य इनपुट पर सब्सिडी से यह प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सूखे का अर्थव्यवस्था पर असर यह होता है कि संशाधनों का उपयोग विकास के बजाए सहायता में बढ़ जाता है और इससे शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर और आपूर्ति पर दबाव बढ़ जाता है. इन परिस्थितियों का सबसे ज्यादा असर महिलाओं, बच्चों पड़ेगा. जीविका के साधन समाप्त होने पर किसानों को भी मुश्किल दौर का सामना करना पड़ेगा.