जम्मू. लद्दाख के नयोमा में तीन साल पहले एक तोपखाना इकाई के अधिकारियों और जवानों के बीच हुई झड़प में एक ‘सम्मरी जनरल कोर्ट मार्शल’ (एसजीसीएम) ने कम से कम 15 सैन्य कर्मियों को ‘‘सैन्य विद्रोह’’ का दोषी ठहराया है. सेना के इन कर्मियों को विभिन्न अवधि की सश्रम कैद की सजाएं सुनाई गई हैं.
सेना सूत्रों ने बताया कि इस हफ्ते की शुरुआत में सुनाई गई सजा उच्च प्राधिकार द्वारा मंजूर किए जाने पर ही प्रभावी होगी. इस मामले में मंजूरी कोर कमांडर प्रदान करेंगे. ये सभी आरोपी अधिकारी रैंक से नीचे के हैं. उन्हें सेना अधिनियम की धारा 37 के प्रावधानों के तहत आरोपित किया गया है जो सैन्य विद्रोह को उकसाने, कराने, इसमें शामिल होने या इसके लिए अन्य लोगों के साथ साजिश रचने से जुड़े है, जिन्हें रणबीर दंड संहिता की धारा 34 (साझा इरादा) के तहत पढ़ा जाए.
सेना ने कमान एवं नियंत्रण में कथित कमी और एक सैनिक की पिटाई के मुद्दे पर कोर्ट मार्शल में तोपखाना इकाई के कमांडिंग अधिकारी और तीन अन्य की सुनवाई पहले ही कर ली है. सूत्रों ने बताया कि उन्हें पेंशन में कटौती की विभिन्न डिग्री की सजा दी गई है. गौरतलब है कि मई 2012 में कथित छेड़छाड़ की घटना को लेकर अधिकारियों के एक समूह और जवानों के बीच झड़प हुई थी. सूत्रों ने बताया कि एक मेजर की पत्नी से एक जवान के कथित दुर्व्यव्यहार के बाद यह घटना हुई थी. मेजर ने उसकी पिटाई की थी.
IANS
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