नई दिल्ली. पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था ग्रीनपीस बंद होने का संकट से जूझ रही है. पर्यावरण की चिंता करने वाली ग्रीनपीस इंडिया के पास आज अपने अस्तित्व को बचाने का ही संकट है. संस्था के पास अपने कर्मचारियों को देने के लिए सिर्फ एक महीने का पैसा है. दरअसल संस्था पर यह संकट उसके घरेलू बैंक खातों को बंद करने की वजह से आया है. संस्था के 340 कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है.
ग्रीनपीस इंडिया को बंद होने से बचाने और गृह मंत्रालय द्वारा घरेलू खातों तक को बंद करने के मनमाने निर्णय के खिलाफ लड़ाई के लिये सिर्फ एक महीने का वक्त बचा है.’
संस्था के कार्यकारी निदेशक समित आईच ने कर्मचारियों से इस चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है. उन्होंने कहा है कि, ‘मेरा यह वक्तव्य अपने जीवन के सबसे मुश्किल वक्तव्यों में है, लेकिन हमारे सहयोगियों को सच जानने का अधिकार है. हमारे पास ग्रीनपीस इंडिया को बंद होने से बचाने और गृह मंत्रालय द्वारा घरेलू खातों तक को बंद करने के मनमाने निर्णय के खिलाफ लड़ाई के लिये सिर्फ एक महीने का वक्त बचा है.’ वहीं, विदेश यात्रा प्रतिबंध का सामना करने वाली ग्रीनपीस की सीनियर कैंपेनर प्रिया पिल्लई ने कहा है कि उन्हें चिंता है कि गृह मंत्रालय अगला कदम किस संगठन पर उठाएगा?
गौरतलब है कि विदेशी धन पर आरोपों के बाद, गृह मंत्रालय ने ग्रीनपीस इंडिया के फंड को रोकने का फैसला किया था, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट में पलट दिया गया था. हाल ही में गृह मंत्रालय ने ग्रीनपीस इंडिया के घरेलू बैंक खातों पर भी रोक लगा दिया है जिसमें 77,000 भारतीयों द्वारा दिये गए चंदे को जमा किया जाता है.
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