जम्मू। 90 का दशक कश्मीरी पंडितों के लिए बहुत कष्टदायक एवं भयावह रहा, लेकिन यह भय अभी भी थमा नहीं है। पलायन का दौर अभी आरम्भ है जहाँ एक ओर भाजपा ने कश्मीरी पंडितों को पुन: घाटी में बसाने का वादा किया था, वहीं अब पलायन किए हुए इन्ही परिवारों को प्रवासी के रूप पंजीकृत किया जा रहा है।
कश्मीर के शोपियां जिले के चौधरीगुंड गांव से निकलकर 26 अक्टूबर को 43 सदस्यों के 13 परिवार पलायन कर जम्मू पहुंच गए थे। जम्मू पहुंचे इन परिवारों ने प्रशासन से मांग की कि, उन्हे प्रवासी के रूप में पंजीकृत किया जाए। तीन परिवार पहले ही जम्मू पहुंच गए थे तथा 10 अन्य परिवार 26 अक्तूबर को जम्मू पहुंच गए। परिवारों के प्रतिनिधि वी. जे. कौल ने कहा कि, 13 परिवारों के पंजीकरण के लिए जम्मू में राहत एवं पुनर्वास कार्यालय को एक संयुक्त आवेदन दिया है। उन सभी 13 परिवारों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि, हमने सुरक्षा कारणों को देखते हुए अपने गांव को छोड़ दिया है, सरकार का कर्तव्य बनता है कि, वह हमें प्रवासी के रूप में पंजीकृत करे।
कश्मीरी पंडित पूरन कृष्णभट को 15अक्टूबर के दिन आतंकवादियों द्वारा चौधरीकुंड गांव में उनके पुश्तैनी मकान के बाहर आतंकवादियों ने गोली मार दी थी। मोनीश कुमार एवं राम सागर 18 अक्टूबर की रात जब वह अपने किराए के मकान में सो रहे थे, तभी आतंकियों ने ग्रेनेड से हमला कर दिया जिसमें इन दोनों ही व्यक्तियों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि, नृशंस हत्या के चलते हमें भय के कारण अपना पैतृक निवास छोड़ने को मजबूर होना पड़ा, यह दंश हम 32 वर्षों से झेल रहे हैं भट की हत्या ने हमें पलायन करने को मजबूर कर दिया।
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