नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने आज वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और कामिनी जायसवाल से जनहित याचिका दायर करने वाली उनकी संस्था सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन यानी CPIL को लेकर बेहद ही तीखे सवाल पूछे हैं.
जस्टिस टीएस ठाकुर ने प्रशांत भूषण से पूछा कि CPIL का सिद्धांत क्या है, क्या आप सिर्फ जनहित याचिका ही दाखिल करते हैं? आपके पास शिकायत कैसे आती है और जो शिकायतें आती हैं उनकी जांच-पड़ताल आप किस तरीके से करते हैं?
SC को अपने मैकेनिज़्म को लेकर संतुष्ट करे CPIL
जस्टिस ठाकुर ने कहा, ”आपको पहले सुप्रीम कोर्ट को संतुष्ट करना होगा कि आप बिजनेस में एक-दूसरे के विरोधियों के कहने पर तो जनहित याचिका दायर नहीं करते. कहीं ऐसा तो नहीं कि याचिका के लिए आपको कोई फाइनेंस करता है.’
जस्टिस ठाकुर ने ये भी कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आप और कामिनी जायसवाल चैंबर में बैठकर तय कर लेते हैं कि इस मामले पर जनहित याचिका दायर करनी है.
कोर्ट ने कहा कि CPIL में अभी तक ऐसा मैकेनिज्म नहीं है जिससे ये वैरीफाई हो सके कि याचिका सही मकसद से दायर की गई है या नहीं. कोर्ट ने कहा कि CPIL को याचिका दाखिल करने से पहले एक जांच और रिसर्च विंग बनाना चाहिए.
व्यावसायिक मामलों में भी जनता का हित होता है- प्रशांत भूषण
प्रशांत भूषण ने CPIL को लेकर कहा कि उसके द्वारा दायर मामले जनहित से जुडे हैं जिनमें जनता के पैसे का दुरुपयोग होता है. प्रशांत ने कहा कि भले ही इन मामलों से व्यावसायिक हित जुड़ा हो लेकिन आम जनता के हित के लिए याचिका दायर की जाती है.
किस याचिका पर सुनवाई के दौरान SC ने उठाए सवाल
CPIL ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर रिलायंस को 4G का लाइसेंस देने में अनियमितता बरतने के आरोप लगाते हुए लाइसेंस रद्द करने की मांग की है.
याचिका मे कहा गया है कि रिलायंस को सिर्फ डाटा सर्विस के लिए लाइसेंस दिया गया था लेकिन बाद में 40 हजार करोड़ रुपए की के बदले 16 सौ करोड रुपए में ही वॉयस सर्विस का लाइसेंस दे दिया गया जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है.