नई दिल्ली. बांग्लादेश की आत्म-निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन का कहना है कि भारत एक सहिष्णु देश है, जहां कुछ असहिष्णु लोग रहते हैं. उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है जब हिंदू कट्टरतावाद के साथ ही मुस्लिम कट्टरवाद पर भी ध्यान केंद्रित किया जाए.
पश्चिम बंगाल के मालदा में हाल में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए तस्लीम ने कहा, “मेरा मानना है कि भारत एक सहिष्णु देश है. लेकिन, कुछ लोग असहिष्णु हैं. हर समाज में कुछ लोग असहिष्णु होते हैं.”
उन्होंने कहा कि हिंदू कट्टरवाद पर बात होती है, लेकिन मुस्लिम कट्टरवाद पर भी बात होनी चाहिए. तस्लीमा ने कहा अभिव्यक्ति की शत-प्रतिशत स्वतंत्रता होनी चाहिए, भले ही इससे कुछ लोगों की भावनाएं आहत ही क्यों न होती हों.
तस्लीमा ने दिल्ली हाट में दिल्ली साहित्य समारोह में ‘कमिंग ऑफ द एज ऑफ इंटालरेंस’ विषय पर हुए विचार-विमर्श में ये बातें कही तस्लीमा को बांग्लादेश में कट्टरपंथियों के विरोध का सामना करना पड़ा था. उनके उपन्यास ‘लज्जा’ पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगा था. उन्हें धमकियां दी गई थीं. इस वजह से उन्हें देश छोड़ना पड़ा.
दूसरी तरफ लेखक और बीजेपी के विचारक सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा कि पूर्ण स्वतंत्रता का इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ ही किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “इस तरह की कोई स्वतंत्रता नहीं होती जो किसी धर्म को नीचा दिखाए, यह जानते हुए कि इससे भावनाएं आहत होंगी और दूसरों का अपमान होगा. मैं इस बात से पूरी तरह असहमत हूं कि लेखक के पास बिना शर्त पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए. स्वतंत्रता का इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए.”