नई दिल्ली. राज्यसभा ने शुक्रवार को किन्नरों को समान अधिकार देने से संबंधित एक सदस्य के निजी विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर इतिहास रच दिया. बीते 45 सालों के दौरान ऐसा पहली बार हुआ है. विधेयक पारित होने के बाद उपसभापति पीजे कुरियन ने घोषणा की, “यह सदन का सर्वसम्मति से फैसला है. ऐसा शायद ही होता है.”
यह विधेयक किन्नर समुदाय के लिए एक राष्ट्रीय आयोग तथा एक राज्यस्तरीय आयोग बनाने की परिकल्पना करता है. उभयलिंगी व्यक्तियों के अधिकार विधेयक, 2014 पेश करते हुए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सदस्य तिरूची शिवा ने कहा, “हमने सुना है कि मानवाधिकार सबके लिए है, फिर कुछ लोग नजरंदाज क्यों किए जाते हैं.”
शिवा ने कहा, “हम सबके पास मानवाधिकार है, चाहे हमारा लिंग या पहचान कुछ भी हो. जिस विधेयक को मैंने पेश किया है, वह कानून एकसमान समाज का निर्माण करेगा, क्योंकि यह उभयलिंगी लोगों को पहचान देता है व उनकी सुरक्षा करता है.” उन्होंने सवाल किया, “विभिन्न देशों ने कदम उठाए हैं, फिर भारत क्यों नहीं?” विधेयक को बाद में ध्वनिमत से स्वीकर कर लिया गया.
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