पत्नी की याद सताई तो साइकिल से ही मिलने पहुंचे स्वीडन

प्यार को पाने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते हैं. इससे जुडे आपने हजारों किस्से सुने होंगे लेकिन इस पेंटर प्रद्युम्न कुमार महानंदिया की प्यार की कहानी सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. दरअसल वह अपनी पत्नी से मिलने के लिए दिल्ली से स्वीडन साइकिल से पहुंचा गए.

Advertisement
पत्नी की याद सताई तो साइकिल से ही मिलने पहुंचे स्वीडन

Admin

  • December 9, 2015 6:58 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. प्यार को पाने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते हैं. हालांकि इससे जुडे आपने हजारों किस्से सुने होंगे लेकिन पेशे से पेंटर प्रद्युम्न कुमार की अनोखी प्यार की कहानी सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. दरअसल वह अपनी पत्नी से मिलने के लिए दिल्ली से स्वीडन साइकिल से पहुंचा गए. 
 
ऐसे पहुंचे स्वीडन
 
शादी के बाद शार्लेट का वीज़ा खत्म होने के कारण वह स्वीडन वापस चली गईं. लेकिन पैसे की कमी के कारण प्रद्युम्न वहां नहीं जा सके. स्वीडन जाने के लिए उन्होंने अपने सारे सामान बेच दिए जिससे उन्हें 1200 रुपये मिले. उसी में से 80 रुपये की एक पुरानी साइकिल ख़रीदी और दिल्ली से स्वीडन के लिए रवाना हो गए.
 
साइकिल से ईरान, तुर्की, अफ़ग़ानिस्तान, बुल्गारिया, जर्मनी और ऑस्ट्रिया आदि देशों का सफर करने के बाद प्रदुम्न स्वीडन की सीमा पर पहुंचे तो इमीग्रेशन वीजा ना होने के कारण उन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया गया लेकिन जब प्रदुम्न ने स्विडिश अफसरों से अपनी पत्नी शार्लेट की बात करवाई, तब जाकर उन्हें स्वीडिश सीमा में दाखिल होने की इजाजत दी गई. पत्नी से मिलने के बाद उन्होंने  स्विस कानून के हिसाब से दोबारा शादी की. 
 
पिता की थी भविष्यवाणी विदेशी से होगी शादी
 
बता दें प्रद्युम्न का जन्म ओडिशा के एक बुनकर दलित परिवार में हुआ था. दलित होने के कारण उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. प्रद्युम्न के पिता एक पोस्ट मास्टर के साथ-साथ एक ज्योतिष भी थे. उन्होंने यह भविष्यवाणी की थी कि उनकी शादी किसी दूसरे देश की लड़की से होगी. प्रद्युम्न की ललित कला की पढ़ाई के प्रति रुचि थी लेकिन पैसों की कमी के कारण उनका दाखिला नहीं हो पाया.
 
लेकिन उनकी काबिलियत को देखते हुए ओडिशा सरकार ने उनकी मदद की और उनका दाखिला ललित कला में हो गया. प्रद्युम्न शाम को कनॉट प्लेस में बैठकर पोर्ट्रेट बनाते थे. उन्होंने रूस की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री वेलेंटीना टेरेस्कोवा की तस्वीर बनाई लेकिन इंदिरा गांधी का पोर्ट्रेट बनाने के कारण उनकी देश में पहचान बनने लगी.
 
 
 
कैसे हुई शादी
 
1975 में शार्लेट नाम की एक स्वीडिश छात्रा कनॉट प्लेस में पहुंची और प्रद्युम्न से अपनी तस्वीर बनाने  के लिए कहा. प्रदुम्न ने शार्लेट की तस्वीर बनाकर दे दि. इसके बाद धीरे-धीरे दोनों मिलने लगे और उनके बीच प्यार हो गया. जिसके बाद उन्होंने ने शादी कर ली. 
 
आज दुनिया भर में प्रद्युम्न पेंटिंग की प्रदर्शनी लगाती रहती है. उनके परिवार में एक बेटा सिद्धार्थ और बेटी एम्ली है. वह दोनों ओडिशा आते रहते हैं.
 

Tags

Advertisement