नई दिल्ली. न्यायाधीशों की नियुक्ति पर कॉलजेयिम व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस तीर्थ सिंह ठाकुर ने कहा कि संवैधानिक पीठ इस पर काम कर रहा है. मुझे इस पर विचार रखने की जरुरत नहीं है. जब तक पीठ अपना फैसला नहीं दे देती. हमें इस मुद्दे पर जल्दबाजी नहीं करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ”जजो की नियुक्ति पर संवैधानिक पीठ का फैसला आने के बाद ही कुछ करना चाहिए. मुझे व्यतिगत तौर पर यही लगता है.” बता दें कि केंद्र सरकार ने कॉलजेयिम सिस्टम के तहत जजों की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून( NJAC)के प्रावधानों को अवैध ठहरा दिया है.
इससे पहले आयोग के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर कहा गया है कि न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून और 121वां संविधान संशोधन कानून निरस्त किया जाए, क्योंकि इससे सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका का हस्तक्षेप बढ़ता है, जो न सिर्फ न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बाधित करता है. यह संविधान के मूल ढांचे को भी प्रभावित करता है.
आयोग की रुप-रेखा:
न्यायिक नियुक्ति आयोग के अध्यक्ष भारत के मुख्य न्यायाधीश होंगे. उनके अलावा सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ न्यायाधीश, कानून मंत्री और दो विख्यात हस्तियां होंगी. दो विख्यात हस्तियों का चयन तीन सदस्यीय समिति करेगी. इस समिति में प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में नेता विपक्ष या सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता होंगे.
कानून की धारा 5(6) कहती है कि अगर आयोग के दो सदस्य किसी की नियुक्ति के लिए सहमत नहीं होंगे तो आयोग उस व्यक्ति की नियुक्ति की सिफारिश नहीं करेगा. याचिकाकर्ता का कहना है कि इसका सीधा मतलब है कि मुख्य न्यायाधीश के नजरिए को नजरअंदाज किया जा सकता है, जबकि सुप्रीमकोर्ट की नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड मामले में कह चुकी है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश की राय नजरअंदाज नहीं की जा सकती, जबकि नए कानून के मुताबिक आयोग का अल्प समूह (दो सदस्य) ऐसा कर सकते हैं.