पटना। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो चुकी है। एनडीए जहां नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनावी रणनीति को मजबूती देने में जुटा है, वहीं विपक्षी महागठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में एकजुट होने की कोशिश कर रहा है।

एनडीए की रणनीति

एनडीए गठबंधन ने राज्यभर में संयुक्त कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित कर अपने कार्यकर्ताओं को संगठित किया है। बीजेपी पूरी तरह से नीतीश कुमार के समर्थन में है और चुनाव के बाद भी उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाने का दावा कर रही है।

महागठबंधन की स्थिति

आरजेडी ‘तेजस्वी सरकार’ के नारे के साथ चुनाव में उतर रही है, जबकि कांग्रेस ने अभी तक तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में समर्थन देने पर फैसला नहीं किया है। कांग्रेस नेतृत्व अपने गठबंधन को लेकर असमंजस में दिख रहा है और वह लालू प्रसाद के साथ गठबंधन को लेकर आंतरिक विरोध का सामना कर रही है।

कांग्रेस में मतभेद

कांग्रेस की रणनीति में दो डिप्टी सीएम पद की मांग शामिल है, लेकिन पार्टी के भीतर ही इस गठबंधन को लेकर विरोध है। समीर सिंह, चंदन यादव, कंचन और रंजीत रंजन ने लालू प्रसाद के साथ गठबंधन का विरोध किया। रंजीत रंजन, जो हिमाचल कांग्रेस की प्रभारी हैं और पप्पू यादव की पत्नी हैं, ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया। पप्पू यादव और लालू परिवार के बीच पुरानी राजनीतिक अदावत जगजाहिर है।

क्या कांग्रेस अलग राह चुन सकती है?

कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने कहा है कि गठबंधन के घटक दलों के साथ बैठक के बाद ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभी तक इस मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि पार्टी गठबंधन पर पुनर्विचार कर सकती है।बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इन राजनीतिक समीकरणों में बदलाव संभव है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस महागठबंधन के साथ रहेगी या नई रणनीति अपनाएगी।

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