‘अग्निपथ’ योजना के तहत इंडियन एयरफोर्स भर्ती प्रक्रिया इस तारीख से होगी शुरू

नई दिल्ली : केंद्र सरकार की सेना में भर्ती की ‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ देशभर में युवाओं का आक्रोश देखने को मिल रहा है. बिहार से हरियाणा तक आंदोलन आक्रमक होता जा रहा है. कहीं गाड़ियों में आग लगा दी गई तो कहीं ट्रेन की पटरियां ही उखाड़ दी गई, ऐसे में सरकार युवाओं को […]

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‘अग्निपथ’ योजना के तहत इंडियन एयरफोर्स भर्ती प्रक्रिया इस तारीख से होगी शुरू

Ayushi Dhyani

  • June 17, 2022 6:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : केंद्र सरकार की सेना में भर्ती की ‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ देशभर में युवाओं का आक्रोश देखने को मिल रहा है. बिहार से हरियाणा तक आंदोलन आक्रमक होता जा रहा है. कहीं गाड़ियों में आग लगा दी गई तो कहीं ट्रेन की पटरियां ही उखाड़ दी गई, ऐसे में सरकार युवाओं को स्कीम के फायदे समझाने की कोशिश कर रही है, वहीं विपक्ष का कहना है कि इस योजना के जरिए युवाओं के भविष्य के साथ खेला जा रहा है और ये सेना की गरिमा को भी कम करता है. बता दें, अग्निपथ स्कीम के तहत इंडियन एयरफोर्स में भर्ती प्रक्रिया 24 जून से शुरू होगी।

सरकार ने जारी की फैक्ट शीट

अग्निपथ योजना के विरोध में भड़के युवाओं को समझाने के लिए सरकार ने अनौपचारिक रूप से एक फैक्ट शीट जारी की . इसका टाइटल है, ‘ अग्निपथ, मिथक बनाम तथ्य’ इस शीट के जरिए सरकार ने अपना पक्ष रखा है, इस योजना को लेकर जो सवाल उठाए जा रहे हैं उनके जवाब देने की कोशिश की गई है.

 

अग्निवीरों का भविष्य असुरक्षित?

सरकार का कहना है कि जो लोग व्यवसाय करना चाहेंगे उन्हें वित्तीय सहायता और लोन उपलब्ध करवाया जाएगा और जो लोग आगे की पढ़ाई करना चाहेंगे उन्हें कक्षा 12 के समान सर्टिफिकेट दिया जाएगा और आगे की पढ़ाई के लिए ब्रिजिंग कोर्स करवाया जाएगा, वहीं जो लोग नौकरी चाहते हैं उन्हें सीएपीएफ और राज्यों की पुलिस भर्ती में वरीयता दी जाएगी.

स्कीम का विरोध क्यों कर रहे युवा?

बिहार समेत कई राज्यों के छात्र अग्निपथ स्कीम के नियमों पर नाराज हैं, उनका कहना है कि अग्निपथ स्कीम में चार साल के कॉन्ट्रैक्ट में सेना में भर्ती किया जाएगा. फिर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट) दे दी जाएगी और ग्रैजुटी या पेंशन जैसे लाभ भी नहीं मिलेंगे जो कि उनकी नजर में ठीक नहीं है.

देश में अग्निपथ स्कीम को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्र बेहद गुस्से में नजर आए. प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि हम सेना में जाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करते हैं. इसे चार साल के लिए सीमित कैसे किया जा सकता है? जिसमें ट्रेनिंग के दिन और छुट्टियां भी शामिल हों? सिर्फ तीन साल की ट्रेनिंग के बाद हम देश की सुरक्षा कैसे कर सकते हैं? सरकार को इस स्कीम को वापस लेना चाहिए या इसमें बदलाव करने चाहिए. वहीं, अन्य लोगों का ये भी कहना है कि वे चार साल के बाद काम करने कहां जाएंगे? चार साल की सर्विस के बाद वे लोग बेघर हो जाएंगे. इसलिए वे लोग सड़कों पर उतरे हैं. प्रदर्शनकारी ने कहा कि देश के नेताओं को समझना होगा कि जनता जागरूक है.

 

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