आस्ताना: ग्रीकोरोमन शैली के विदेशी कोच तेमो कज़राशिवली ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप के शुरू होने से एक दिन पहले कहा था कि विश्व स्तर पर अच्छे परिणाम देने के लिए अच्छे पहलवान भी होने चाहिए. उनकी यह बात यहां पहले दिन बिल्कुल सटीक साबित हुई. चारों भारतीय पहलवान पहले दिन औंधे मुंह गिरे. इसे आप भारतीय ग्रीकोरोमन पहलवानों का दुर्भाग्य भी कह सकते हैं क्योंकि इन चार पहलवानों में से एक का पाला वर्ल्ड चैम्पियन से पड़ गया, दूसरे का एशियाई चैम्पियन से और तीसरे का डेव शुल्ज टूर्नामेंट के विजेता से. खैर…यह सब खेल का हिस्सा है. चारों भारतीय पहलवान मंजीत (55 किलो), सागर (63 किलो), योगेश (72 किलो) और हरप्रीत सिंह (82 किलो) को अपने पहले ही मुक़ाबले में हार का सामना करना पड़ा. पहला सत्र खत्म होने के बाद मंजीत और सागर को उम्मीद थी कि उनका उनके प्रतिद्वंद्वी शाम को फाइनल में पहुंचकर उनके लिए ब्रॉन्ज़ मेडल की उमीद जगाएगा लेकिन उन्हें हराने वाले ये वर्ल्ड चैम्पियन और एशियाई चैम्पियन दिग्गज शाम को धराशायी हो गये और भारतीय पहलवानों की रही सही उम्मीद भी खत्म हो गई.
मंजीत से थी ज़्यादा उम्मीद
मंजीत को वर्ल्ड चैम्पियन अज़रबेजान के एल्दानिज़ एज़ीज़ली से 0-8 से हार का सामना करना पड़ा जबकि सागर अपने क्वॉलिफिकेशन राउंड में ही पिछले साल की एशियाई चैम्पियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता मेजबान कज़ाखस्तान के अलमत केबिसपेयेव से तकनीकी दक्षता से पराजित हुए. अलमत को पिछले साल एशियाई खेलों में सिल्वर मेडल हासिल हुआ था. मंजीत से भारत को काफी उम्मीदें थीं क्योंकि उन्होंने इस साल तिब्सली (जॉर्जिया) में ब्रॉन्ज़ और मिंस्क (बेलारूस) में सिल्वर मेडल हासिल किये थे. मगर मंजीत को हराने वाले अज़रबेजानी पहलवान के सेमीफाइनल में हारने के साथ उनकी उम्मीदें खत्म हो गई और रही सही उम्मीद 63 किलो में सागर को हराने वाले कजाक़ पहलवान के जापानी पहलवान के हाथों हारने से खत्म हो गई.
जीतते-जीतते हार गये योगेश
योगेश को डेव शुल्ज टूर्नामेंट के विजेता अमेरीका के रेमंड एंथनी ने कड़े संघर्ष में 6-5 से हराया जबकि आखिरी कुछ सेकंड तक मंजीत 5-5 के स्कोर के बावजूद लाभ की स्थिति में थे क्योंकि तब तक आखिरी अंक उनके नाम था. आखिरी क्षणों की भूल उनके लिए महंगी साबित हुई. मगर रेमंड एंथनी के अगले ही राउंड में हारने से योगेश की उम्मीदें समाप्त हो गईं.
अनुभवी हरप्रीत ने किया निराश
छह बार वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भाग ले चुके हरप्रीत सिंह को चेक रिपब्लिक के पीटर नोवाक ने एक तरह से 7-0 से धो डाला. नोवाक की उपलब्धियां भी कुछ खास नहीं थीं, सिवाय इसके कि उन्हें इस साल स्पेन ग्रां प्री में तीसरा स्थान हासिल हुआ था. पीटर नोवाक के अगले ही राउंड में हारने के साथ भारत की चुनौती समाप्त हो गई.
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