नई दिल्ली। खेल की दुनिया में एथलीटों द्वारा बाधाओं को पार करके विश्व मंच पर बड़ी उपलब्धि हासिल करना कोई नई बात नहीं है। फिर भी, इन सभी प्रेरणादायक कहानियों के बीच, किशोर भारतीय पैरा-तीरंदाज शीतल देवी की कहानी सामने आती है। बता दें कि शीतल देवी का जन्म 2007 में फ़ोकोमेलिया के साथ हुआ था, ये एक दुर्लभ जन्मजात विकार है जिसके कारण अंग अविकसित रह जाते हैं। इस स्थिति के परिणामस्वरूप उनरे हाथ पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाए। शीतल देवी ने जुलाई 2023 में चेक गणराज्य में विश्व तीरंदाजी पैरा चैंपियनशिप 2023 में ओपन महिला कंपाउंड तीरंदाजी स्पर्धा में रजत पदक जीता था। वो पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली महिला तीरंदाज थीं। इस पदक ने शीतल को पेरिस 2024 पैरालंपिक खेलों के लिए भारत के लिए टिकट हासिल करने में भी मदद की। अब उनको राष्ट्रपति द्वारा अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया है। जिसके बाद से वो सुर्खियों में हैं। आइए जानते उनके जीवन से जुड़े संघर्षों की कहानी।
बता दें कि शीतल का जन्म 10 जनवरी, 2007 को किश्तवाड़, जम्मू-कश्मीर के लोइधर गांव में हुआ था। ऐसी शारीरिक स्थिति के साथ पैदा होने के बावजूद, शीतल देवी एथलेटिक रूप से प्रतिभावान थीं और उन्होंने कभी भी अपनी सीमाओं को अपने बचपन का लाभ उठाने से नहीं रोका। एक बच्चे के रूप में, उनके पास दृढ़ इच्छाशक्ति थी और वो एक मनोरंजन के रूप में पेड़ों पर चढ़ना पसंद करती थी। इस गतिविधि ने उनको एक मजबूत ऊपरी शरीर बनाने में मदद की। बता दें कि भारतीय सेना ने पैरा तीरंदाजी में शीतल देवी के करियर को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। 2021 में जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में भारतीय सेना द्वारा आयोजित एक युवा कार्यक्रम में सेना के ट्रेनर को शीतल की सहज एथलेटिक क्षमता तथा आत्मविश्वास का पता चला। हालाँकि, शीतल देवी को पैरा तीरंदाजी में ताकतवर बनाने की कोचों की शुरुआती कोशिशों में काफी रुकावट आई। काफी रिसर्च के बाद, प्रशिक्षकों को बिना हाथ वाले तीरंदाज मैट स्टुट्ज़मैन के बारे में पता चला, जिन्होंने लंदन 2012 पैरालिंपिक में रजत पदक जीतने के लिए अपने पैरों का उपयोग किया था।
शीतल जल्द ही पूर्व तीरंदाज तता कोच कुलदीप वेदवान की अकादमी में शामिल हो गईं। राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सक्षम तीरंदाजों के बीच प्रतिस्पर्धा करने के बावजूद, शीतल देवी का टैलेंट सभी को देखने को मिला। पैरा तीरंदाजी के दिग्गज स्टुट्ज़मैन के समान अपने पैरों का उपयोग करते हुए, शीतल देवी ने अपरंपरागत शूटिंग तकनीक को अपनाया तथा मार्च-अप्रैल 2022 में हरियाणा में पैरा तीरंदाजी राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भाग लिया। बता दें कि यह टूर्नामेंट महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे शीतल देवी को औपचारिक मान्यता प्राप्त करने में काफी मदद मिली। एक भारतीय पैरा तीरंदाज़ की मान्यता मिलने के बाद 2023 विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक और एशियाई पैरा खेलों में दो स्वर्ण और एक रजत हासिल करने में शीतल ने सफलता हांसिल की। इसके बाद शीतल देवी ने पैरा कंपाउंड तीरंदाजों की रैंकिंग में नंबर 1 भी बनीं।
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