भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तानों में से एक सौरव गांगुली की इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में शुरुआत कोलकाता नाइट राइडर्स की तरफ से हुई थी. गांगुली ने पहले तीन सीजन कोलकाता का नेतृत्व भी किया. हालांकि वह न तो कप्तानी और न ही बैटिंग से अपनी छाप आईपीएल में छोड़ पाए थे.
नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तानों में से एक सौरव गांगुली की इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में शुरुआत कोलकाता नाइट राइडर्स की तरफ से हुई थी. गांगुली ने पहले तीन सीजन कोलकाता का नेतृत्व भी किया. हालांकि वह न तो कप्तानी और न ही बैटिंग से अपनी छाप आईपीएल में छोड़ पाए थे. इसका प्रभाव यह रहा कि 2012 में कोलकाता नाइट राइर्स की टीम ने उन्हें नहीं खरीदा, लेकिन पुणे वॉरियर्स के मालिक सुब्रत रॉय ने उन पर भरोसा जताया और उन्हें अपनी टीम में शामिल किया.
एक सीजन उप कप्तान के रूप में खेलने के बाद फ्रेंचाइजी ने उन्हें कप्तान नियुक्त कर दिया था. लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो ये थी कि खुद सौरव गांगुली को इस बात की जरा सी भी जानकारी नहीं थी. जब ये बात उन्हें पता चली तो वह इस बात को सुनकर हैरान रह गए थे. सौरव गांगुली ने अपनी किताब में उस घटना का जिक्र करते हुए लिखा है कि फ्रेंचाइजी पुणे के नेता सुब्रत रॉय ने जब उन्हें कप्तान नियुक्त किया था तो वह काफी घबरा गए थे. यह मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा झटका था. मैं बस उस समय यह समझने की कोशिश कर रहा था कि वह यह क्या कर रहे हैं?
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान गांगुली ने कहा कि मैं सोच रहा था कि कैसे उस क्षति की पूर्ति होगी जो कि सुधार योग्य नहीं है. सु्ब्रत रॉय ने बोर्ड से कहा कि उनका फैसला अंतिम है. साल 2011 में पुणे वॉरियर्स ने भारतीय टीम के स्टार ऑलराउंडर युवराज सिंह को खरीदा और उन्हें कप्तान बना दिया था. युवराज सिंह की बात करते हुए सौरव गांगुली ने किताब में लिखा है कि मैं दुविधा में था क्योंकि मैं उस इंसान को रिप्लेस करने जा रहा था जिसने कुछ महीने पहले मुझे टीम में आश्रय दिया था. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करुं. इन सब चीजों को दरकिनार करते हुए मैंने उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया, जहां मैं अपना नियंत्रण रख सकता था. मैंने खुद से कहा कि मैं अब आईपीएल नहीं खेलूंगा. मुझे इस पर विचार करने में करीब एक माह लग गया लेकिन मेरे अंदर की आत्मा ने मुझसे कहा कि बस अब समय आ गया है.
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