विराट स्पिनर्स पर अटैक करके ही दबाव बना सकेंगे

विराट कोहली स्पिनर्स के सामने आखिरी ओवरों में ही बड़े शॉट खेलते दिखाई देते हैं। ज़्यादातर उनकों सिंगल्स और दो-दो रन के साथ अपनी पारी को आगे बढ़ाते देखा जा सकता है। दूसरे वनडे में भी उन्होंने इसी तरह से अपनी पारी को आगे बढ़ाया। वह जानते हैं कि टीम में कई स्ट्रोक प्लेयर हैं।

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विराट स्पिनर्स पर अटैक करके ही दबाव बना सकेंगे

Aanchal Pandey

  • March 26, 2021 8:10 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

टीम इंडिया की बल्लेबाज़ी दूसरे वनडे में एक इकाई की तरह खेली। विराट कोहली ने एक बार फिर अपनी शानदार फॉर्म का परिचय दिया। मेरी अक्सर उनसे फोन पर बात होती है। वह यही कहते हैं कि जब टीम इंडिया मैच जीत रही है तो ऐसे समय किसी भी आलोचना का कोई मतलब नहीं है। वह तो यह भी कहते हैं कि सेंचुरी बनाने के लिए पूरी उम्र पड़ी है लेकिन उनके लिए सेंचुरी से ज़्यादा टीम इंडिया की जीत मायने रखती है। वह अपने और टीम के प्रदर्शन से संतुष्ट हैं।

आम तौर पर देखा जा रहा है कि विराट कोहली स्पिनर्स के सामने आखिरी ओवरों में ही बड़े शॉट खेलते दिखाई देते हैं। ज़्यादातर उनकों सिंगल्स और दो-दो रन के साथ अपनी पारी को आगे बढ़ाते देखा जा सकता है। दूसरे वनडे में भी उन्होंने इसी तरह से अपनी पारी को आगे बढ़ाया। वह जानते हैं कि टीम में कई स्ट्रोक प्लेयर हैं। वह एक छोर को बचाए रखते हैं और दूसरे छोर पर बल्लेबाज़ों को रन बनाने का मौका देते हैं लेकिन मेरी उन्हें एक सलाह है कि जिस तरह से वह स्पिनर्स को शुरू से ही अच्छा खेलते रहे हैं, उसी तरह से उनके सामने खेलें। वह अगर स्पिनर्स के सामने खुलकर खेलेंगे तो स्पिनर्स पर दबाव बनाने में कामयाब हो सकेंगे।

बाकी इंग्लैंड टीम की रोटेशन पॉलिसी मेरी समझ से परे है। वह कई बार इन फॉर्म खिलाड़ी को भी रोटेशन के नाम पर बाहर बिठा देते हैं। तेज़ गेंदबाज़ों को फिटनेस की समस्या से बचाने के लिए आप रोटेट करें तो बात समझ में आती है लेकिन उन्हें साथ ही यह भी देखना चाहिए कि कौन सी सीरीज़ महत्वपूर्ण है। रोटेशन में भी एक ही तेज़ गेंदबाज़ को एक समय में आराम दिया जाए। बल्लेबाज़ों को रेस्ट देना ग़लत कदम है। कम से कम टीम इंडिया की पॉलिसी बिल्कुल सही ट्रैक पर है और उसके अच्छे परिणाम आप सबके सामने हैं। अगर टी-20 वर्ल्ड कप से पहले उनके सीरीज़ हारने का सिलसिला शुरू हो गया तो इससे उनके खिलाड़ियों के मनोबल पर भी असर पड़ेगा।

क्या वह केवल एशेज को ही अपने लिए अहम समझते हैं। अगर कोई क्रिकेटर लगातार टीम का हिस्सा है और वह रेस्ट मांगता है तो उसे रेस्ट देना चाहिए। जॉनी बेयरस्टो की तरह नहीं कि वह श्रीलंका में अच्छी फॉर्म हासिल करने के बाद भारत में भी इस फॉर्म को बरकरार रखना चाहते थे लेकिन उन्हें वापस घर भेज दिया गया। इससे खिलाड़ी की लय टूट जाती है। दूसरे, जो रूट को सीरीज़ में न खिलाना भी इंग्लैंड के खिलाफ गया है। मैं तो कहूंगा कि उन्हें तीनों फॉर्मेट में टीम में रखना चाहिए।

(लेखक द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता हैं और विराट कोहली के कोच हैं)

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