याद कीजिए साल 2007 का वेस्टइंडीज में हुआ वनडे वर्ल्डकप. इस वर्ल्डकप में टीम इंडिया पहले ही राउंड में बाहर हो गई थी. फैंस का गुस्सा चरम पर था. जिस तरह शाहरुख की फिल्म में उनकें पुतले फूकें जा रहे थे उसी तरह असलियत में भी राहुल द्रविड़ और पूरी टीम इंडिया के पुतले पूरे भारत में जले.
नई दिल्ली. आपने शाहरुख खान की हॉकी पर बनी चक दे इंडिया फिल्म तो देखी ही होगी, उस फिल्म में शाहरुख खान भारतीय हॉकी टीम के कप्तान होते हैं और वर्ल्डकप में उनकी वजह से टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ता है. इसके बाद उन पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगे और उन्हें हर जगह जलील होना पड़ा. अब आपको बताते हैं कि हम ये कहानी आपको क्यों सुना रहे है.
हम आपको इसलिए सुना रहे हैं क्योंकि शनिवार को इस फिल्म को पूरी दुनिया ने हकीकत होते हुए देखा. नहीं समझे ना चलिए हम समझाते हैं. याद कीजिए साल 2007 का वेस्टइंडीज में हुआ वनडे वर्ल्डकप. इस वर्ल्डकप में टीम इंडिया पहले ही राउंड में बाहर हो गई थी. फैंस का गुस्सा चरम पर था. जिस तरह शाहरुख की फिल्म में उनकें पुतले फूकें जा रहे थे उसी तरह असलियत में भी राहुल द्रविड़ और पूरी टीम इंडिया के पुतले पूरे भारत में जले. वर्ल्डकप में भारत की हार का सबसे बड़ा दोषी माना गया कप्तान राहुल द्रविड़ को. कहा गया कि कोच इयान चैपल के साथ मिलकर उन्होंने टीम इंडिया की ये हालत कर दी थी. अब फिल्म में भी शाहरुख का करियर खत्म हो गया था और हकीकत में राहुल द्रविड़ का वनडे करियर.
ये बात तो हुई शुरुआत की. अब बारी है असली कहानी की. उस फिल्म में टीम इंडिया से बाहर होने के बाद शाहरुख खान ने अपनी खोई हुई साख पाने के लिए महिला हॉकी टीम के कोच की जिम्मेदारी संभाली, हालांकि राहुल द्रविड़ के केस में वह लकी रहे और टेस्ट क्रिकेट तो लगातार खेलते ही रहे लेकिन वर्ल्डकप में हारने का कलंक तो उन पर था ही. और इसका अफसोस उन्हें भी होता ही होगा. इसलिए उन्होंने भी भारत की सीनियर क्रिकेट टीम की कोचिंग की जगह अंडर 19 टीम का कोच बनना स्वीकार किया. यहीं नहीं आईपीएल के करोड़ो छोड़ उन्होंने अंडर 19 टीम का कोच बनना जरुरी समझा.
अब क्लाइमेक्स के बारे में भी तो बताना पड़ेगा. फिल्म में शाहरुख महिला हॉकी टीम को विश्व विजेता बना देते हैं और अपनी खोई हुई इज्जत को फिर से पा लेते हैं. हालांकि द्रविड़ के बारे में ये बात इसलिए नहीं कही जा सकती क्योंकि वह हमेशा से ही एक बड़े और सम्माननीय क्रिकेटर के तौर पर जाने जाते रहे हैं. हालांकि द्रविड़ के मन में भी कभी वर्ल्डकप ना जीत पाने की कसक जरूर रही होगी. वर्ल्डकप में उनके सिर पर लगा कलंक उन्हें चैन से सोने नहीं देता होगा. अब उन्होंने भी अपनी टीम को कोच रहते हुए अंडर 19 वर्ल्डकप का खिताब जितवाया. ये जीत टीम इंडिया के खिलाड़ियों के करियर को एक दिशा देगी लेकिन राहुल द्रविड़ को जो संतुष्टि और सुख मिला है वो करोड़ो अरबो रुपयो से काफी बड़ा है. ये जीत राहुल द्रविड़ के उस अपमान का बदला है जो हमने और आपने उनका साल 2007 में किया था.
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