नई दिल्ली : रविचंद्रन अश्विन का नाम सुनते ही हमें बल्लेबाजों के उलझे हुए चेहरे, हैरानी भरे उनके हाव-भाव और उनके खेल में दिखाई देने वाली बारीकियाँ और जादुई स्पिन दिमाग में आता है, जिसमें अनुभवी बल्लेबाज भी उलझ कर रह जाते है। उनका टेस्ट क्रिकेट का सफर, उनकी गेंदबाजी, स्पिन होती हुई उनकी गेंद की तरह ही एक मास्टरक्लास रहा है, जो समर्पण, अनुकूलन और जीतने की अटूट इच्छाशक्ति की कहानी दर्शाता है। तो चलिए आज हम रविचंद्रन अश्विन के शानदार टेस्ट करियर को जानने की कोशिश करते है कि आखिर क्यों वह वर्तमान में स्पिन के जादूगर माने जाते हैं।
जब उन्होंने इंग्लैंड के जैक क्रॉली का विकेट लेकर अपने 98 टेस्ट मैच में 500 विकेट पूरे किए, तो वह टेस्ट क्रिकेट इतिहास में इस उपलब्धि को हासिल करने वाले 9वें खिलाड़ी बन गए। पूर्व भारतीय दिग्गज गेंदबाज अनिल कुंबले (132 टेस्ट मैचों में 619 विकेट) के बाद यह कारनामा करने वाले आश्विन दूसरे भारतीय हैं और पूर्व श्रीलंका के महान गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन (87 टेस्ट) के बाद 98 टेस्ट मैचों में 500 विकेट लेने वाले दूसरे सबसे तेज गेंदबाज हैं। रविचंद्रन अश्विन टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट लेने वालों में शीर्ष 10 गेंदबाजों में शामिल हैं। आज, हम इस आधुनिक स्पिन गेंदबाजी के जादूगर रविचंद्रन आश्विन के शुरुआती वर्षों को गहराई से देखेंगे और उनके क्रिकेटिंग सफर को जानेंगे, जिसने उनके शानदार करियर की नींव रखी।
चेन्नई में जन्मे अश्विन, जो वर्तमान भारतीय स्पिन गेंदबाजी का सबसे बड़ा चेहरा है, तमिलनाडु के इस दाहिने हाथ के ऑफ-स्पिनर को उनके कैरम बॉल्स के लिए जाना जाता है और अक्सर उन्हें पिछले दशक के सबसे चतुर गेंदबाजों में से एक माना जाता है। अश्विन की इस खेल के प्रति महत्वाकांक्षाएं उनके शुरुवात के दिनों में ही जाहिर हो गईं थी। ऐसा लगता है जैसे उन्होंने सफेद जर्सी पहनने से पहले ही अपने दाहिने हाथ से स्पिन के जादू वाली कहानियां बुननी शुरू कर दी थीं। उनके पिता रविचंद्रन भी क्लब स्तर पर तेज गेंदबाज के रूप में क्रिकेट खेला करते थे। अश्विन की प्रतिभा को पहचानते हुए, प्रसिद्ध एमआरएफ पेस फाउंडेशन उनका प्रशिक्षण मैदान बन गया था, जहां टी.ए. सेकर जैसे दिग्गज कोच ने उनकी इस अनूठी गेंदबाजी शैली को निखारा।
2006 में 20 साल की उम्र में हरियाणा के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच में तमिलनाडु के लिए अश्विन के प्रथम श्रेणी क्रिकेट पदार्पण ने एक शानदार सफर की शुरुआत की। नवंबर 2011 में, वेस्टइंडीज तीन टेस्ट और पांच वनडे मैचों के लिए भारत दौरे पर आया था, जिसमें अश्विन और रविंद्र जडेजा टीम में सिर्फ दो विशेषज्ञ स्पिनर थे। अश्विन ने दिल्ली में पहले मैच में पदार्पण किया, जहां उन्हें लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर से अपनी टेस्ट कैप मिली।
इस मैच में अश्विन ने पहली पारी में 3/81 विकेट लिए और दूसरी पारी में 6/47 से पांच विकेट हासिल किए, जिससे भारत को इस मैच को जीतने में मदद मिली और जिसके चलते उन्हें मैन ऑफ द मैच से भी सम्मानित किया गया। अश्विन अपने टेस्ट डेब्यू पर मैन ऑफ द मैच जीतने वाले तीसरे भारतीय खिलाड़ी भी बन गए। भारतीय महान अनिल कुंबले के संन्यास लेने और उस दौरान हरभजन सिंह के खराब फॉर्म के चलते, भारतीय टीम को उनसे अच्छे प्रदर्शन की सख्त जरूरत थी। अश्विन ने अपने पहले टेस्ट में नौ विकेट लिए, जिसमें वह प्लेयर ऑफ द मैच बने। अपने पहले 16 टेस्ट मैचों में, उन्होंने 9 बार पांच विकेट हासिल किये।
भारतीय टीम से लगातार अंदर और बाहर होने के बाद, 2012-13 से अश्विन को टेस्ट मैचों में लगातार खेलने का मौका मिलने लगा। 2013 में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में उन्हें सीरीज का मैन ऑफ द मैच चुना गया, जिसने उपमहाद्वीपीय पिचों पर उन्हें भारत के मुख्य गेंदबाज बनने की उनकी यात्रा की शुरुआत की। इस शृंखला में उन्होंने प्रभावशाली 29 विकेट लिए। इस प्रक्रिया में, वे किसी सीरीज में 25 से अधिक विकेट लेने वाले तीसरे भारतीय ऑफ स्पिनर बने, हरभजन सिंह (32) और एरपल्ली प्रसन्ना (26) के बाद।
तब से, अश्विन टेस्ट टीम का अभिन्न अंग बने हुए है और रास्ते में कई रिकॉर्ड तोड़ते हुए और भारत के स्पिन डिपार्ट्मन्ट के अविवाद नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। मार्च 2022 में, उन्होंने कपिल देव के 434 टेस्ट विकेट को पार करते हुए टेस्ट क्रिकेट में भारत के दूसरे सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज बने। वर्तमान के सबसे अनुभवी बल्लेबाज भी रविचंद्रन अश्विन के वेरिएशंस, चालाकी और फिरकी के जाल में उलझ जाते है।
लेकिन अश्विन की गेंदबाजी के जादू के पीछे का साइंस क्या है? जो उनकी गेंद को इतना अनोखा और प्रभावी क्या बनती है:
अनूठा एक्शन: अश्विन की गेंदबाजी की एक्शन पारंपरिक ऑफ स्पिनर की तुलना में थोड़ी साइड ऑन है, जिससे ज्यादा ओवरस्पिन पैदा होता है। जिसके चलते गति के साथ मिलकर उनकी “कैरम बॉल” और “दूसरा” को ज्यादा भ्रामक बनाने में योगदान देता है।
ग्रिप में लगातार बदलाव: अश्विन अपनी डिलीवरी के आधार पर अपनी ग्रिप में लगातार बदलाव करते रहते हैं जिसके चलते, जो गेंद वह फेंकना चाहते हैं, उसमें कंट्रोल ला पाते हैं।
फील्ड प्लेसमेंट: अश्विन एक चतुर गेंदबाज के साथ ही चतुर रणनीतिकार भी हैं, जो अपनी फील्डिंग की योजना भी बड़ी सटीकता से बनाते हैं। वे किसी भी पिच पर बल्लेबाज की किसी भी अनिश्चितता या त्रुटि का फायदा उठाने के लिए ज्यादा निकट फील्डरों का उपयोग करना ज्यादा पसंद करते हैं, जिससे उनके विकेट लेने के मौके और भी बढ़ जाते हैं।
रविचंद्रन अश्विन को उनके करियर के दौरान कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है और वे आईसीसी क्रिकेट टीमों में शामिल रहे हैं। विशेष रूप से, 2016 में उन्हें आईसीसी पुरुष क्रिकेटर ऑफ द ईयर पुरस्कार और आईसीसी पुरुष टेस्ट क्रिकेटर ऑफ द ईयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिसने उनके असाधारण प्रदर्शन और खेल में योगदान को रेखांकित किया। 2013, 2015, 2016, 2017 और 2021 में “आईसीसी पुरुष टेस्ट टीम ऑफ द ईयर” में जगह पाने से लगातार उनका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कद बढ़ता रहा।इसके अलावा, 2011 से 2020 के दशक की आईसीसी पुरुष टेस्ट टीम में जगह पाने से अश्विन का प्रभाव व्यक्तिगत उपलब्धियों से परे जाता है। ये सम्मान न केवल उनकी उत्कृष्टता को दर्शाते हैं बल्कि उनके टीम की सफलता के लिए सतत समर्पण को भी, जिसने उन्हें क्रिकेट की दुनिया में एक आइकान बना दिया है।
रविचंद्रन अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट में कई कमाल करके खुद को इतिहास में दर्ज करा लिया है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक टेस्ट मैचों में प्लेयर-ऑफ-द-सीरीज अवॉर्ड जीतने वालों की सूची में दूसरे स्थान पर होना है। इस रिकॉर्ड में उनसे आगे सिर्फ पूर्व श्रीलंका श्रीलंकाई गेंदबाज महान मुथैया मुरलीधरन हैं। अश्विन ने अपने टेस्ट करियर में अब तक 10 बार यह अवॉर्ड जीता है, जो उनकी निरंतरता का सबूत है।
अश्विन की गेंदबाजी का कमाल उनकी एक मैच में दस विकेट लेने के कारनामे में साफ झलकता है। वह टेस्ट क्रिकेट इतिहास में पांचवें ऐसे गेंदबाज हैं जिन्होंने सबसे ज्यादा बार (34 बार) एक पारी में पांच विकेट लिए हैं। गेंदबाजी के रिकॉर्ड्स के अलावा, अश्विन ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां तेजी से हासिल की हैं। वह सबसे तेज 250 टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं, उन्होंने यह कारनामा सिर्फ 45 मैचों में किया। उनकी रफ्तार कम नहीं हुई और उन्होंने 66 टेस्ट मैचों में ही 350 विकेट पूरे कर लिए। सबसे खास बात ये है कि वह 450 टेस्ट विकेट लेने वाले दूसरे सबसे तेज गेंदबाज हैं, उनसे आगे सिर्फ मुथैया मुरलीधरन हैं।
अश्विन की महारत सिर्फ आंकड़ों में ही नहीं दिखती। उन्होंने टेस्ट मैचों में 100 बार बल्लेबाजों को बोल्ड करके अपना असली हुनर दिखाया है। ये आंकड़ा उनकी गेंदबाजी की सटीकता और विपक्षी को परेशान करने की क्षमता को दर्शाता है। अश्विन की टेस्ट क्रिकेट में गेंदबाजी करने की क्षमता उनके द्वारा फेंकी गई गेंदों की संख्या से स्पष्ट है, जो उन्हें टेस्ट क्रिकेट में 25,527 गेंदों के साथ सर्वकालिक सूची में 14वें स्थान पर रखती है। यह आंकड़ा उनकी अविश्वसनीय क्षमता और टेस्ट मैचों में लंबे समय तक गेंदबाजी करने की इच्छा शक्ति का प्रमाण है।।
रविचंद्रन अश्विन की क्रिकेट यात्रा केवल इन उपलब्धियों तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने मैदान पर शानदार प्रदर्शन देकर कई बार अपनी टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। रविचंद्रन अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट में अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। उन्होंने तीन अलग-अलग मौकों पर एक ही टेस्ट मैच में शतक बनाया और उसी मैच में 5 से अधिक विकेट भी लिए। उनकी गेंदबाजी में महानता इस बात से भी पता चलती है कि वह सभी प्रारूपों में एक पारी में पांच विकेट (34 बार) लेने के मामले में आठवें स्थान पर हैं। टेस्ट मैचों में लगभग 110 बार विपक्षी बल्लेबाजों को LBW आउट करने का रिकॉर्ड उनकी गेंदबाजी की धार को बयां करता है। अपनी चतुर स्पिन गेंदबाजी से लगातार बल्लेबाजों को परेशान करने का हुनर उन्हें टेस्ट क्रिकेट इतिहास के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में शुमार करता है।
विदेशी परिस्थितियों में महारत हासिल करने से लेकर अपने प्रतिस्पर्धियों को पछाड़ने तक, अश्विन का सफर विपरीत परिस्थितियों में लचीलेपन और दृढ़ संकल्प की शक्ति का एक प्रमाण है। अभी आने वाले समय में अश्विन और कितना आगे खेलेंगे, और कितने रिकॉर्ड तोड़ेंगे, यह तो भविष्य में ही पता चलेगा, लेकिन उनके अभी तक के आंकड़े दुनिया भर के युवा क्रिकेटरों को प्रेरित करना जारी रखेंगे, खासकर क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप के लिए लेकिन निश्चित तौर पर भारत के उत्कृष्ट स्पिन गेंदबाजों में से एक के रूप में रविचंद्रन अश्विन की विरासत आगे भी बरकरार रहेगी। रविचंद्रन अश्विन का अभी तक का टेस्ट क्रिकेट का सफर बेहद रोमांचक और प्रेरणादायक रहा है, जो आने वाले भविष्य की पीढ़ी के खिलाड़ियों को उनकी क्षमताओं से बेहतर बनने के लिए प्रेरित करता रहेगा।
राजस्थान राज्य के भीलवाड़ा ज़िले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है,…
महाभारत युद्ध के दौरान गांधारी से मिले श्राप के कारण श्री कृष्ण के कुल में…
प्रसिद्ध तबलावादक उस्ताद जाकिर हुसैन का सोमवार सुबह 73 वर्ष की आयु में निधन हो…
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है. जब आप सांस लेते हैं,…
हापुड़ में पिटबुल कुत्ते से जुड़ा एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है,…
भारतीय शतरंज खिलाड़ी डी गुकेश ने 18 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के…