नई दिल्ली: भारतीय महिला एथलीट्स के नाम कई बड़ी उपलब्धि हैं. इंटरनेशनल मंच पर भारत की बेटियां खेलों में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं, लेकिन घुड़सवारी में महिलाओं की स्थिति कुछ ज्यादा बेहतर नही रही है. लेकिन लंबे इंतजार के बाद घुड़सवारी में देश की बेटी ने ऐतिहासिक स्वर्ण हासिल कर भारत का मान बढ़ाया […]
नई दिल्ली: भारतीय महिला एथलीट्स के नाम कई बड़ी उपलब्धि हैं. इंटरनेशनल मंच पर भारत की बेटियां खेलों में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं, लेकिन घुड़सवारी में महिलाओं की स्थिति कुछ ज्यादा बेहतर नही रही है. लेकिन लंबे इंतजार के बाद घुड़सवारी में देश की बेटी ने ऐतिहासिक स्वर्ण हासिल कर भारत का मान बढ़ाया है. इस बेटी का नाम है दिव्यकृति सिंह. दिव्यकृति पहली भारतीय महिला हैं, जिन्हें घुड़सवारी में अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया है
दिव्यकृति सिंह राजस्थान के नागौर (Nagaur) जिले की रहने वाली हैं. दिव्यकृति की पढ़ाई अजमेर के मेयो कॉलेज गर्ल्स स्कूल और द पैलेस स्कूल जयपुर से हुई है. वो पिछले कुछ सालों से जर्मनी में घुड़सवारी की ट्रेनिंग ले रही हैं. बता दें घुड़सवारी उन्हें विरासत में मिली है उनके पिता विक्रम सिंह राठौड़ राजस्थान पोलो संघ (Rajasthan Polo Club) से जुड़े रहे हैं.
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घुड़सवारी (Horse Riding) में भारत को 41 साल के लंबे इंतजार के बार स्वर्ण पदक मिला है. जिसका श्रेय दिव्यकृति को जाता है. वह भारतीय घुड़सवारी ड्रेसेज टीम (Indian Equestrian Dressage Team) की सदस्य हैं. साल 2022 में दिव्यकृति का एशियन गेम्स में चयन नहीं हो सका था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और प्रैक्टिस जारी रखी और इस वर्ष स्वर्ण पदक हासिल किया. जनवरी 2024 में 23 साल की दिव्यकृति को घुड़सवारी खेल के लिए पहली भारतीय महिला अर्जुन पुरस्कार दिया गया.