नई दिल्ली: जूडो में सुशीला देवी ने 48 किलोग्राम भारवर्ग में रजत पदक अपने नाम किया। यह भारत का बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में तीसरा रजत और कुल सातवां पदक है। सुशीला से पहले दोनों रजत वेटलिफ्टिंग में आए थे। इससे पहले बिंदियारानी देवी और संकेत ने वेटलिफ्टिंग में रजत पदक जीता था। वहीं, भारत ने अब तक कुल तीन स्वर्ण पदक जीते हैं। मीराबाई चानू, जेरेमी लालनिरुंगा और अचिंता शेउली ने स्वर्ण पदक जीता था। वहीं, गुरुराजा पुजारी ने कांस्य पदक जीता है।
सुशीला देवी लिकमाबाम भारत की जूडो खिलाड़ी हैं। भारत की ओर से जूडो में हिस्सा लेने वाली ग्रीष्मकालीन ओलंपिक 2020 में वह एकमात्र भारतीय महिला जूडो खिलाड़ी रहीं हैं। सुशीला लिकमाबाम का जन्म 1 फ़रवरी, 1995 को हुआ था। सुशीला देवी लिकमाबाम इंफाल के पूर्वी जिले में स्थित हिंगांग मयाई लीकाई की रहने वाली हैं।
सुशीला बचपन में अपने भाई सिलाक्षी के साथ जूडो अकेडमी जाया करती थी। दोनों सुबह साढ़े पांच बजे उठते और तैयार होकर छह बजे तक घर से निकल जाते थे। आधे घंटे के साइकिल सफर के बाद वह जूडो अकेडमी पहुंचते। कभी बारिश तो कभी कोहरा, दोनों के लिए सुबह का यह सफर मुश्किल होता था।
सुशीला साल 2009 में पहली बार अपने मौजूदा कोच और अर्जुन अवॉर्डी जीवन कुमार शर्मा से मिली थी, जिन्होंने उन्हें खेलना जारी रखने के लिए हमेशा प्रेरित किया है। वह उनका खर्च भी उठाते और स्पॉन्सर्स को सुशीला का समर्थन करने के लिए भी राजी करते थे। धीरे-धीरे इसका असर दिखने लगा और सुशीला पहले जूनियर और फिर सीनियर लेवल पर मेडल अपने नाम करने लगी। 2014 में वह ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेने पहुंचीं और वहां सिल्वर मेडल जीता था।
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