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RP Singh Praveen Kumar Interview: इंडिया न्यूज से बातचीत में बोले आरपी सिंह और प्रवीण कुमार- इंजुरी को सही समय न देने से जल्द खत्म हुआ करियर

नई दिल्ली. RP Singh Praveen Kumar Interview:  भारतीय क्रिकेट में 2006 से तेज गेंदबाजी का नया दौर शुरू हुआ था जो आज तक बदस्तूर जारी है.  वर्ष 2006 से टीम इंडिया ने तेज गेंदबाजी के दम पर मैच जीतने शुरू किए. इससे पहले हमारी टीम की ताकत स्पिन गेंदबाजी को ही समझा जाता था.  अभी तक कपितल देव ही इकलौते तेज गेंदबाज थे जिन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई थी.  लेकिन 2006 के बाद तेज गेंदबाजों की कतार सी लग गई. इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के दो तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार और आरपी सिंह भी थे, जिन्होंने अपने डेब्यू से फैन्स को चमत्कृत कर दिया था. लेकिन जिस अंदाज में इन दोनों गेंदबाजों की टीम में एंट्री हुई थी, उस अंदाज में विदाई नहीं हुई. इनका करियर आशानुरूप बड़ा नहीं हो सका और ये दोनों ही टीम से जल्दी विदा हो गए. इंडिया न्यूज के खेल संपादक राजीव मिश्रा से बातचीत में दोनों ही तेज गेंदबाजों ने स्वीकार किया कि इंजुरी को सही समय न देने से उनका करियर जल्दी खत्म हुआ। मेरठ में अपने घर से प्रवीण कुमार ने बताया कि वे लॉकडाउन के समय आजकल नींद भरपूर ले रहे हैं.  खा रहे हैं और सो रहे हैं. फिटनेस के नाम पर घर में ही थोड़ा दंड बैठक लगाकर काम चला रहे हैं. नवम्बर 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ अपने वनडे करियर का आगाज करने वाले प्रवीण कुमार 2008 के ऑस्ट्रेलिया दौरे से स्टार बने थे.

इंडिया न्यूज के खेल संपादक राजीव मिश्रा से बातचीत में प्रवीण कुमार ने कहा, वो मेरा पहला टूर था. मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. एक ही बात पता थी कि बस गेंदबाजी करते रहो, बस अच्छा परफार्म करना है. पहले चार विकेट लिए फिर चार विकेट ले लिए. मैं मैन आफ द मैच चुना गया पर इतना असमंजस में था कि मैन आफ द मैच चुने जाने पर मैं भाग गया था. 2006 के पाकिस्तान दौरे से लाइमलाइट में आरपी सिंह ने फैसलाबाद में पांच विकेट निकालकर तहलका मचाया था.  आरपी ने बताया कि लॉकडाउन में ज्यादातर समय तो सोने और खाने में ही कटता है पर फिटनेस के लिए घर में रखे डंबल, योगा या वाकिंग कर लेते हैं. तेज गेंदबाजी के युग की शुरुआत पर सवाल पूछे जाने पर आरपी ने कहा कि तेज गेंदबाजी पर बीसीसीआई ने पहले से ही काम शुरू किया हुआ था.  एमआरएफ पेस फाउंडेशन में खिलाड़ी तैयार किए जा रहे थे.  घरेलू क्रिकेट पर हम बहुत कुछ निर्धारित रहते हैं. पहले भी थे और आज भी हैं. घरेलू क्रिकेट के साथ बीसीसीआई ने पेस को जोड़ा.  देश में पेस बैटरी पर ध्यान दिया जा रहा था और उसके लिए सहायक विकेट भी तैयार की जा रही थीं. आरपी सिंह ने कहा पाकिस्तान की आपने बात की तो वहां तो बैटिंग पैराडाइज विकेट मिले थे. गेंदबाजों के लिए बहुत मुश्किल था. खासकर तेज गेंदबाजों को खासी परेशानी हो रही थी. 

छोटा करियर रह जाने पर आरपी सिंह ने कहा कि पीछे मुड़कर देखूं तो मुझे लगता है कि मैं और ज्यादा मैच खेल सकता था. सभी खिलाड़ियों को ऐसा लगता है कि वो जितना खेले, उससे अधिक खेल सकते थे. लेकिन आपके आगे न खेलने की बहुत सारी वजह हो सकती हैं.  इंजुरी तेज गेंदबाजी में एक सबसे बड़ी वजह बनती है. इंजुरी से परेशानी सभी तेज गेंदबाजों को होती है, जो हमें भी हुई.  मुझे लगता है कि इंजुरी के लिए सही टाइम दिया जाना चाहिए, दो महीने, तीन या चार महीने, जो भी समय हो, एकदम फिट होकर ही मैदान में उतरना चाहिए. हमने शायद सही कैलकुलेट नहीं किया. हम खेलने से पहले फिट जरूर हो गए थे. डोमेस्टिक में विकेट लिए, उसके बाद टीम में चयन हुआ पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उतरने के लिए आपको सौ प्रतिशत से भी अधिक फिट होना होता है.  फिटनेस को लेकर दो चार गलतियां हुईं.  मुझे लगता है कि मैं थोड़ा जल्दी खेलने चला गया, जिससे वो परफोरमेंस नहीं हुई, वो पेस नहीं आया जो तेज गेंदबाजी में जरूरी होता है.  इस वजह से प्रश्न चिन्ह लगा और एक बार जब आप थोड़ा नीचे होते हैं तो बहुत सारी चीजें ऐसी होती हैं कि आपको और नीचे पुश करने लगती हैं.  इसलिए इंजुरी एक खास वजह थी जिसके कारण मैं उतना लम्बा नहीं खेल पाया, जितना मुझे खेलना चाहिए था. 

प्रवीण के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. 2011 के विश्व कप में खेलने के बाद वे कहते हैं कि अब इधर की हवा चलनी बंद हो गई है.  प्रवीण कहते हैं कि किसी खिलाड़ी की हवा बनती है और इसी हवा में लोग खेल जाते हैं. लोग कहने लगते हैं कि बड़ा तेज फेंक रहा है.  प्रवीण ने कहा कि मैं आरपी की बात से एकदम सहमत हूं  जैसा कि उन्होंने कहा कि इंजुरी हो जाने के बाद हम सोचते हैं कि जल्दी से खेल लें. जल्दी जल्दी में दिक्कत हो जाती है और इंजुरी बढ़ जाती है. मेरे साथ भी विश्व कप से पहले डेंगू हुआ और डेंगू के बाद एल्बो की चोट हो गई,  जिससे वर्ल्ड कप मिस हो गया.  इसलिए हमें मैदान में उतरने के लिए जल्दी नहीं करनी चाहिए.  आरपी सिंह महेंद्र सिंह धोनी के दोस्त हैं और उन्हें टीम में धोनी का प्रिय खिलाड़ी माना जाता था.  इस सवाल पर आरपी कहते हैं कि फैवरेट लिस्ट वाली बात मैं तो नहीं समझता. मैं ऐसी किसी फेवरेट लिस्ट में होता तो बहुत सारे मैच खेलता. ये कहने वाली बातें हैं. हां, ये जरूर है कि जब खराब टाइम चल रहा होता है तो आप एक मौरल सपोर्ट खोजते हैं.  एक वाकया बताता हूं कि दलीप ट्रॉफी में मेरा चयन हो गया था, तभी चयनकर्ता आते हैं और मुझे टीम से निकाल देते हैं.  मेरे पूछने पर बताते हैं कि तुम सेंट्रल जोन से जाओगे तो वहां तुम्हें हम खिलाएंगे नहीं क्योंकि तुम्हारी जगह नहीं बनती है.  मैंने पूछा तो आपने सलेक्ट क्यों किया.  तो कहने लगे कि सलेक्ट किया था पर बाद में लगा कि पंकज सिंह राजस्थान के गेंदबाज हैं और ईश्वर सिंह को भी देखना है. अब तुम टीम में रहोगे तो उन्हें नहीं खिला पाएंगे.  तुम सीनियर हो तुम्हें ड्रॉप नहीं कर पाएंगे. 

आरपी सिंह ने चयनकर्ता से कहा कि 11 की सर्वोत्तम टीम खिलानी होता है. किसी खिलाड़ी को बाहर करने के कई कारण होते हैं.  कंबीनेशन देखना होता है.  हालांकि जब भी किसी खिलाड़ी को ड्रॉप किया जाता है तो सबसे बड़ा कारण होता है, उसका प्रदर्शन. कोई शानदार प्रदर्शन करता है तो टीम को उस खिलाड़ी की जरूरत होती ही है.  मुझे लगता है कि चयनकर्ता जब किसी नए खिलाड़ी को लाते हैं तो उन्हें लगता है कि वह बेहतर प्रदर्शन करेगा और अगले चार साल तक उसे खिलाया जा सकता है. टीम के चयनकर्ताओं को दोष देने से पहले आपको अपने आप को देखना होगा कि आप में क्या कमी आ रही है.  कप्तान भी कई बार कम्युनिकेशन करता है और बता देता है कि आपमें क्या इशू है.  एक बार राहुल द्रविड़ ने बतौर कप्तान मुझे बताया था और उनके कहने पर चल कर मैं बेहतर खिलाड़ी बनकर टीम में लौटा था.  यदि आप अपने इशू ठीक नहीं कर पाते तो कुछ नहीं हो सकता.  प्रवीण कुमार कहते हैं कि मैं ये सोचता हूं कि शायद मुझमें कुछ कमी रही होगी. रैना की शादी में धोनी भाई ने मुझे बुलाया था और खुल कर बात की थी. उन्होंने कहा था कि अब भुवनेश्वर कुमार टीम में आ गया है और तुम्हारे पेस में कमी आ रही है. उन्होंने वेस्टइंडीज में ही कह दिया था कि इंडिया में तुम्हें नहीं खिला पाऊंगा. मैंने भी पूछा नहीं कि क्यों नहीं खिलाओगे.  

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Aanchal Pandey

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