नई दिल्ली। टी-20 विश्व कप के दूसरे सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ मिली करारी शिकस्त से समस्त देशवासी नाराज़ हैं और अपनी-अपनी राय के अनुसार मनमुताबिक खिलाड़ियों को हटाने की मांग कर रहे हैं। इस दौरान कप्तान रोहित शर्मा को सबसे अधिक निशाना बनाया जा रहा है। भारतीय टीम की बल्लेबाजी दूसरे सेमीफाइनल में यदि […]
नई दिल्ली। टी-20 विश्व कप के दूसरे सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ मिली करारी शिकस्त से समस्त देशवासी नाराज़ हैं और अपनी-अपनी राय के अनुसार मनमुताबिक खिलाड़ियों को हटाने की मांग कर रहे हैं। इस दौरान कप्तान रोहित शर्मा को सबसे अधिक निशाना बनाया जा रहा है।
दूसरे सेमीफाइनल में यदि भारत की बल्लेबाजी की बात करें तो, भारत ने चुनौती देने के लायक स्कोर बनाया था, क्योंकि भारत जो अन्य मैच भी जीते हैं जिसमें अधिकतर कमज़ोर टीमों के खिलाफ भी लगभग इतना ही या इससे कुछ अधिक स्कोर ही बनाया है। इसलिए इंग्लैड जैसी टीम के खिलाफ 168 रनों के स्कोर को यदि विशाल नहीं कहेंगे तो कम कहना भी बेईमानी होगी।
टीम के भीतर अधिक से अधिक बल्लेबाज इसीलिए खेलते हैं क्योंकि, यदि कोई बल्लेबाज विदआउट फार्म चल रहा है तो बाकी बल्लेबाज मोर्चा संभाल लें। लेकिन फैंस यदि यह उम्मीद कर रहे हैं कि, ओपनिंग से लेकर सभी बल्लेबाज फॉर्म में रहें तो यह केवल एक संयोग मात्र ही हो सकता है। इसलिए रोहित शर्मा की आलोचना करना ग़लत होगा। हाँ यह अवश्य कह सकते हैं कि, रोहित शर्मा एक सफल कप्तान की भूमिका निभाने में नाकाम रहें।
168 रनों का स्कोर टी-20 क्रिकेट में कम नहीं कहलाता लेकिन जब यह लक्ष्य मात्र 16 ओवरों में हासिल कर लिया जाए तब उंगली बल्लेबाजों पर नहीं बल्कि गेंदबाजों पर उठनी अनिवार्य हो जाती है। ओपनिंग गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार ने 12.5 के औसत से मात्र दो ओवरों में 25 रन दिए, सीरीज में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे अर्शदीप सिंह ने 7.5 के औसत से दो ओवरों मे मात्र 15 रन दिए, अक्षर पटेल ने भी 7.5 के औसत से चार ओवरों में 30 रन दिए, वहीं धाकड़ गेंदबाज मोहम्मद शमी ने 13 के औसत से 39 रन दिए, रविचंद्रन अश्विन ने दो ओवरों में 27 और हार्दिक पांड्या ने तीन ओवरों में 34 रन दिए।
इस मैच में गेंदबाजों का कमबैक न करना ही भारतीय टीम के हार का सबब बना।
इन्ही कारणों से एशिया कप में भी भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा था। यदि इस सेमीफाइनल में भारतीय बल्लेबाज 200 से अधिक रन बना लेते तो भी ऐसी गेंदबाज़ी के चलते मैच बचाने मे नाकामयाब रहते।
इस हार के बाद झल्लाए हुए भारतीय समर्थकों के निशाने पर कोच राहुल द्रविड भी आ गए हैं, समर्थकों की प्रतिक्रिया से सोशल मीडिया में कमेंट्स की बाढ़ हुई है। फैंस का कहना है कि, राहुल द्रविड पहले तो एक टेस्ट खिलाड़ी थे, 1999 के बाद उनकी गिनती वन-डे मैच के बल्लेबाजों में होने लगी थी। राहुल द्रविड ने टी-20 मैच कभी नहीं खेलें तो वह टी-20 की टीम के कोच किस हैसियत से हैं। जनता के इन सवालों के जवाब क्या पूर्व दिग्गज देंगे इसकी प्रतिक्षा रहेगी।