Rishabh Pant MS Dhoni Successor: धोनी फील्ड पर बहुत सक्रिय रहते थे। वह गेंदबाज़ों को बहुत अच्छे तरीके से गाइड करते थे। यहां तक कि जब वह कप्तान नहीं थे, तब भी उन्होंने फील्ड पर गेंदबाज़ों को बल्लेबाज़ की कमज़ोरियां बताने का सिलसिला जारी रखा। यजुवेंद्र चहल, कुलदीप यादव, रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा को उनकी मौजूदगी का काफी फायदा पहुंचा। धोनी ने किस बल्लेबाज़ को किस तरह की गेंद डालनी है, इस बारे में अपने अनुभव से गेंदबाज़ों की काफी मदद की.
सचमुच मैदान पर खूब याद आएंगे महेंद्र सिंह धोनी। एक ऐसा क्रिकेटर जो सफलतम कप्तान, शानदार विकेटकीपर और बेहतरीन मैच फिनिशर की भूमिका में रहा हो, जिसने भारतीय क्रिकेट को खूब प्रभावित किया हो, जिसने टीम को बनाने और संवारने का काम किया हो, ऐसे क्रिकेटर को भला कौन याद नहीं करेगा।
निश्चय ही विश्व क्रिकेट को एक बहुत बड़े खिलाड़ी की कमी मैदान पर खलेगी। उन्हें जो भी ज़िम्मेदारी मिली, उसका उन्होंने कुशलतापूर्वक निर्वाह किया। उन्हें टीम की कप्तानी करने की ज़िम्मेदारी मिली तो उन्होंने टीम को तीन बड़े आईसीसी टूर्नामेंट जिताकर अपनी मौजूदगी का अहसास कराया। पहले कुछ युवा खिलाड़ियो के साथ टी-20 वर्ल्ड कप, फिर 28 साल बाद 50 ओवर के वर्ल्ड कप की ट्रॉफी और फिर 2013 में आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी का खिताब। उन्हीं की कप्तानी में टीम इंडिया टेस्ट में नम्बर वन बनी। हर बड़े खिलाड़ी के रिटायर होने पर दुख होता है। सचिन, द्रविड़ और गांगुली जैसे दिग्गज खिलाड़ी जब रिटायर हुए थे तो उनके फैंस को बहुत दुख हुआ था। इन सब खिलाड़ियों ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन के साथ बरसों देश की सेवा की। यही स्थिति धोनी की है लेकिन राहत की बात यह है कि धोनी के खेल का हुनर हमें आईपीएल में देखने को मिलेगा।
धोनी फील्ड पर बहुत सक्रिय रहते थे। वह गेंदबाज़ों को बहुत अच्छे तरीके से गाइड करते थे। यहां तक कि जब वह कप्तान नहीं थे, तब भी उन्होंने फील्ड पर गेंदबाज़ों को बल्लेबाज़ की कमज़ोरियां बताने का सिलसिला जारी रखा। यजुवेंद्र चहल, कुलदीप यादव, रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा को उनकी मौजूदगी का काफी फायदा पहुंचा। धोनी ने किस बल्लेबाज़ को किस तरह की गेंद डालनी है, इस बारे में अपने अनुभव से गेंदबाज़ों की काफी मदद की। उन्होंने न सिर्फ विराट और रोहित शर्मा बल्कि पूरी टीम तैयार की। ये उनकी लीडरशिप क्वालिटी ही थी कि उनकी अगुवाई में सचिन, ज़हीर, सहवाग, भज्जी और युवराज जैसे सीनियर खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया और टीम को वर्ल्ड चैम्पियन बनाने में अहम योगदान दिया।
भारतीय टीम में जो भी खिलाड़ी प्रवेश करता है, उसका स्तर वास्तव में काफी अच्छा होता है और यह उस खिलाड़ी पर निर्भर करता है कि वह अपने खेल को किस हद तक चमकाता है। धोनी जब टीम इंडिया में आए तो उन्होंने भी अपनी विकेटकीपिंग की कला को काफी चमकाया। दरअसल घरेलू क्रिकेट और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ज़मीन आसमान का अंतर होता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आने के बाद हर कोई मेहनत करता है। अपनी कमियों को दूर करना और लगातार अच्छा प्रदर्शन करना काफी मायने रखता है। इस लिहाज़ से धोनी ने अपने खेल में काफी सुधार किया।
धोनी ने ज़्यादातर समय नम्बर छह और नम्बर सात पर बल्लेबाज़ी की है। यह पोज़ीशन काफी मुश्किल और चुनौतीपूर्ण होती है। धोनी इस पोज़ीशन पर शानदार हिटर और फिनिशर साबित हुए। इस पोज़ीशन पर उन्होंने निचले क्रम के बल्लेबाज़ों के साथ कई बार अच्छी पार्टनरशिप करके मैच जिताए हैं। एक समय वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर थे।
धोनी के उत्तराधिकारी के तौर पर ऋषभ पंत का दावा सबसे मज़बूत है। वह हार्ड हिटर हैं और अपनी विकेटकीपिंग में भी सुधार कर रहे हैं। उन्हें धोनी से सीखना चाहिए और लगातार अपने खेल में सुधार करना चाहिए। पंत में टैलंट है। कुछ चीजें हैं, जिन्हें वह अपने अनुभव से सुधार सकते हैं।
धोनी टीम में एकदम अलग तरह के क्रिकेटर हैं। मैदान में वह क्रिकेट में पूरी तरह से डूबे हुए होते थे लेकिन क्रिकेट मैदान में वह अपने परिवार को भी समय देते हैं और अपने सारे शौक पूरा करते हैं। वो जिनके ब्रैंड एम्बेसडर थे जिन कम्पनियों के साथ endorse थे, उनका वह खाली समय में पूरा ख्याल करते थे।
(लेखक भारतीय टीम के पूर्व विकेटकीपर हैं। उन्होंने देश के लिए कुल 49 टेस्ट, और 94 वनडे इंटरनैशनल खेले हैं)