Rajiv Gandhi Khel Ratna Awards 2020: राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए रोहित शर्मा और विनेश फोगाट तो ठीक है मगर अमित पंघाल और नीरज चोपड़ा का क्या कसूर ?

Rajiv Gandhi Khel Ratna Awards 2020: बॉक्सर अमित पंघाल को किस आधार पर आप खारिज कर सकते हैं। जो बॉक्सर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर लाता है और जो एशियाई खेलों में गोल्ड जीतता है, एशियन चैम्पियनशिप में भी गोल्ड जीतता है। क्या उसे कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर जीतने की सजा दी गई है जबकि बॉक्सिंग का स्तर भी कॉमनवेल्थ गेम्स में काफी ऊंचा है। ज़ाहिर है कि नीरज चोपड़ा और अमित पंघाल जैसे खिलाड़ी टोक्यो ओलिम्पिक में पदक के मज़बूत दावेदार हैं।

Advertisement
Rajiv Gandhi Khel Ratna Awards 2020: राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए रोहित शर्मा और विनेश फोगाट तो ठीक है मगर अमित पंघाल और नीरज चोपड़ा का क्या कसूर ?

Aanchal Pandey

  • August 18, 2020 11:16 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

खेल पुरस्कार हौसला आफज़ाई के लिए होते हैं, खिलाड़ियों को हतोत्साहित करने के लिए नहीं होते लेकिन इस साल के खेल रत्न पुरस्कारों में ज़्यादातर दिग्गज खिलाड़ियों को हतोत्साहित ही किया गया है। मानदंडों को मानने के मामले में 12 सदस्यों की कमिटी व्यवहारिक होकर फैसला नहीं कर पाई और उनके फैसले को देखकर ऐसा लगता है कि इस बारे में केवल आंकड़ों पर ध्यान दिया गया। किस खेल का प्रतियोगी स्तर कैसा है, उसे पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया गया।

कॉमनवेल्थ गेम्स को ही लीजिए। ये ऐसे खेल हैं जहां कई खेलों का प्रतियोगी स्तर काफी ऊंचा है जबकि कुछ का स्तर बहुत ही हल्का है। यहां तक कि कुछ कुछ इवेंट में तो इसका स्तर नैशनल चैम्पियनशिप से कुछ ही अधिक है। टेबल टेनिस ऐसा ही खेल हैं, जिन देशों का स्तर इस खेल में बहुत ऊंचा है, वे कॉमनवेल्थ गेम्स के सदस्य नहीं हैं। ऐसी स्थिति में हमारे खिलाड़ी यहां दो गोल्ड सहित कई पदक जीत जाते हैं जबकि यही खिलाड़ी जब एशियाई खेलों में जाते हैं तो वहां इनसे एक राउंड भी आगे बढ़ना बहुत बड़ी चुनौती होता है। यह ठीक है कि टेबल टेनिस खिलाड़ी मणिका बत्रा ने पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स में सिंगल्स और टीम में गोल्ड मेडल जीते जबकि डबल्स में उन्हें सिल्वर और मिक्स्ड डबल्स में ब्रॉन्ज़ मेडल हासिल हुए। सुनने में बहुत अच्छा लगता है कि उन्होंने इतने सारे मेडल एक ही आयोजन में जीत लिए। इसी प्रदर्शन के आधार पर 12 सदस्यों की कमिटी ने उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित करने की सिफारिश कर डाली जबकि इन्हीं सीडब्ल्यूजी में एथलेटिक्स का स्तर बहुत ऊंचा है। इसका अंदाज़ा आप इसीसे लगा सकते हैं कि 1958 के कार्डिफ में आयोजित कॉमनवेल्थ खेलों में मिल्खा सिंह के गोल्ड मेडल जीतने के बाद अगले गोल्ड के लिए भारत को 2010 के नई दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स तक लम्बा इंतज़ार करना पड़ा। इन्हीं खेलों में नीरज चोपड़ा जैवलिन थ्रो में गोल्ड कॉमनवेल्थ गेम्स में भी जीतते हैं और एशियाई खेलों में भी। यही खिलाड़ी जूनियर वर्ल्ड चैम्पियन बनने के अलावा टोक्यो ओलिम्पिक में पदक का बहुत बड़ा दावेदार है लेकिन उन्हें मणिका के मुकाबले सीडब्ल्यूजी में कम गोल्ड जीतने के आधार पर खारिज कर दिया जाता है।

बॉक्सर अमित पंघाल को किस आधार पर आप खारिज कर सकते हैं। जो बॉक्सर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर लाता है और जो एशियाई खेलों में गोल्ड जीतता है, एशियन चैम्पियनशिप में भी गोल्ड जीतता है। क्या उसे कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर जीतने की सजा दी गई है जबकि बॉक्सिंग का स्तर भी कॉमनवेल्थ गेम्स में काफी ऊंचा है। ज़ाहिर है कि नीरज चोपड़ा और अमित पंघाल जैसे खिलाड़ी टोक्यो ओलिम्पिक में पदक के मज़बूत दावेदार हैं। अगर पिछले तीन वर्षों के बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद इन्हें इन पुरस्कारों के हाशिए पर रखा जाता है तो इससे इन खिलाड़ियों के टोक्यो ओलिम्पिक के अभियान को बड़ा झटका लग सकता है। किदाम्बी श्रीकांत इन्हीं तीन वर्षों में दुनिया के नम्बर एक खिलाड़ी बने और उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स का भी गोल्ड अपने नाम किया लेकिन वह भी इस पुरस्कार के लिए नॉमिनेट होने के बावजूद हाशिए पर ही रह गये।

बाकी रोहित शर्मा और विनेश फोगट को इस पुरस्कार के लिए चुना जाना स्वागत योग्य है। रोहित ने खासकर व्हाइट बॉल क्रिकेट के मायने ही बदल दिए और जब रेड बॉल क्रिकेट में उन्हें बतौर ओपनर मौका मिला तो उन्होंने विशाखापत्तनम टेस्ट की दोनों पारियों में सेंचुरी और रांची टेस्ट में डबल सेंचुरी बनाकर साबित कर दिया कि टेस्ट क्रिकेट में भी वह भविष्य के सितारे हैं। इसके अलावा वनडे में तीन डबल सेंचुरी, एक वर्ल्ड कप में सबसे ज़्यादा पांच सेंचुरी का वर्ल्ड रिकॉर्ड, टी-20 में भारत की ओर से सबसे ज़्यादा चार सेंचुरी और वनडे क्रिकेट में एक ही साल में सात सेंचुरी की मदद से 1490 रन उनकी प्रतिभा को बताने के लिए काफी हैं। रही बात विनेश की, उनको ये पुरस्कार दिए जाने से इस पुरस्कार की गरिमा बढ़ी है। क़ज़ाकिस्तान के शहर आस्ताना में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में मेडल के साथ ओलिम्पिक के लिए क्वॉलीफाई करने वाली इस पहलवान ने एशियाई खेलों और कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड जीतने का कमाल किया है। प्रो रेसलिंग लीग सीज़न 1 की वह सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहीं और इस लीग में खासकर चीन की सुन यनान से दो बार हारने का उन्हें इतना लाभ मिला कि एशियाई खेलों के पहले ही राउंड तक आते आते वह सुन यनान को अच्छी तरह से समझ चुकी थीं और उन्हें एकतरफा अंदाज़ में हराकर उन्होंने अपने गोल्ड मेडल के अभियान की शुरुआत की थी।

इसी तरह एम थन्गावेलू ने रियो में आयोजित पैरालम्पिक में हाई जम्प का गोल्ड मेडल हासिल किया। तीन साल पहले इस खिलाड़ी को पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार ने नवाज़ा जा चुका है। उनके जैसे दिग्गज को सम्मानित करना नि:संदेह इस पुरस्कार का सम्मान है।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार और टीवी कमेंटेटर हैं) 

Kirti Azad on Chetan Chauhan: कीर्ति आजाद बोले- उस दौर के द ग्रेट वॉल थे चेतन चौहान

Chetan Chauhan was The Great wall: कीर्ति आजाद ने दी चेतन चौहान को श्रद्धांजलि, कहा- चेतन उस दौर के `द ग्रेट वॉल` थे

Tags

Advertisement