Para Athletes In Covid-19 Time: कोरोना वायरस महामारी ने दिव्यांग खिलाड़ियों यानी पैरा एथलीटों की जिंदगी को चुनौतीपुर्ण बना दिया है. अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग खिलाड़ी श्वेता शर्मा ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिली. आर्थिक मदद के साथ ही खिलाड़ियों को कोरोना काल के दौरान प्रैक्टिस भी करने को नही मिल रही है.
Para Athletes In Covid-19 Time: अन्य खेलों की तरह दिव्यांग खिलाड़ियों ने समय-समय पर देश का नाम रोशन किया है और इन खिलाड़ियों का खेल भी कोविड-19 की वजह से प्रभावित हुआ है. अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग खिलाडी श्वेता शर्मा (शॉटपुट और जैवलिन) ने बताया कि पैरालिम्पिक कमेटी ऑफ़ इंडिया ने कोविड-19 के दौरान दिव्यांग खिलाडियों के लिए फिटनेस, योग और मैडिटेशन की नियमित ऑनलाइन ट्रेनिंग क्लासों को आयोजित किया लेकिन साथ ही एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें किसी तरह की कोई आर्थिक मदद नहीं मिली लेकिन उन्होंने इतना ज़रूर कहा कि भारत सरकार और फेडरेशन इससे पहले ट्रेनिंग के अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में आने-जाने, खाने-पीने, रहने-ठहराने की व्यवस्था करती है.
उनका कहना है कि दिव्यांग खिलाडी को एक अतिरिक्त व्यक्ति की सहायता की जरुरत होती है लेकिन दुर्भाग्य से इस गंभीर विषय पर कोई ध्यान नहीं देता. हमें स्वयं ही स्वंतंत्र रूप से प्रबंध करना पड़ता है. यदि इस दिशा में सरकार या फेडरेशन कोई मदद के लिए आगे आए तो हम और ज्यादा पदक हासिल कर सकते हैं.
डिसेबल्ड स्पोर्टिंग सोसाइटी के उत्तराखंड राज्य के सचिव हरीश चौधरी का कहना है कि जिस प्रकार से हमारे देश सहित नेपाल, बांग्लादेश जैसे छोटे-छोटे देशों में दिव्यांग खिलाड़ियों को खासकर ट्रैवलिंग को लेकर काफी दिक्कतें आती हैं. हमारे देश में इस प्रकार के संसाधन नहीं हैं जहां दिव्यांग खिलाड़ी किसी लिफ्ट के माध्यम से बस में जाएं या फिर उनके लिए ट्रेन या रोड पार करने के लिए ऐसी कोई विशेष व्यवस्था नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए काम करने वाली संस्थाएं खानापूर्ति करती हैं.
उन्होंने कहा कि प्रतिभाशाली दिव्यांग बच्चे अपनी प्रतिभा के दम पर आगे बढ़ सकते हैं लेकिन जो दिव्यांग बच्चे घर पर उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं उन को आगे बढ़ाने की दिशा में कुछ नहीं किया जा रहा. दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए ट्रेनिंग का अभाव, उनको प्रमोट करने के लिए भी प्रायोजक आगे नहीं आते. उन्हें अपने इंतज़ाम खुद करने होते हैं लेकिन जब वे शिखर पर पहुंच जाते हैं तो श्रेय लेने की होड़ में सब आगे आ जाते हैं.
इन्डियन डेफ क्रिकेट टीम के मुख्य कोच देव दत्त बघेल ने कहा कि इस संकट की घडी में ऑनलाइन ट्रेनिंग के इंतजाम किए गए हैं. जहां तक उनकी एसोसिएशन की मान्यता के रद्द होने की बात करें तो उनकी एसोसिएशन का भारतीय ओलिंपिक संघ से कोई लेना-देना नहीं है जबकि उनकी एसोसिएशन आईसीसी से मान्यता प्राप्त है इसीलिए उनकी नज़र अगले साल यूएई में 19 से 29 अक्टूबर तक होने वाले वन-डे वर्ल्ड कप पर टिकी हुई है. गूंगे-बहरे खिलाडियों को ट्रेनिंग देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके लिए पाकिस्तान के ज़ाहिर बाबर आई सी सी के इस विंग के सीईओ हैं, की मदद से ही इन खिलाडियों को साईन लैंग्वेज (सांकेतिक भाषा) माध्यम से कनेक्ट कर हिदायतें दी जाती हैं.
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