नई दिल्ली: बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 के चौथे टेस्ट में नितीश रेड्डी ने शतक बनाकर सभी का ध्यान आकर्षित किया है। उनकी इस शानदार पारी के बाद नितीश का नाम हर किसी की जुबां पर है। इस मुकाम तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था और इसके पीछे उनके पिता का बड़ा बलिदान था, जिन्होंने उन्हें इस सफर में पूरा समर्थन दिया। आइए जानते हैं अंडर-14 से लेकर मेलबर्न तक नितीश रेड्डी की यात्रा कैसी रही है।
नितीश के पिता मुत्याला रेड्डी हिंदुस्तान जिंक कंपनी में काम करते थे। नितीश के अंदर क्रिकेट के प्रति जुनून को उनके पिता ने बचपन में ही पहचान लिया था। 2003 में विशाखापट्टनम में जन्मे नितीश बचपन से ही स्टेडियम जाया करते थे। जब नितीश करीब 12-13 साल के थे, तो उनके पिता का ट्रांसफर उदयपुर हुआ। इसके बाद उन्हें महसूस हुआ कि इससे नितीश के क्रिकेट करियर पर असर पड़ सकता है और उन्होंने नौकरी छोड़ने का अहम फैसला लिया। इस फैसले की काफी आलोचनाएं हुईं, लेकिन नितीश के पिता ने अपने फैसले पर अडिग रहते हुए उन्हें क्रिकेट में करियर बनाने के लिए पूरा समर्थन दिया।
टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर एमएसके प्रसाद ने नितीश के टैलेंट को पहचानते हुए उनकी मदद की। अंडर-12 और अंडर-14 के लोकल मैचों में प्रसाद की नजर नितीश पर पड़ी और इसके बाद नितीश को महज 17 साल की उम्र में आंध्र प्रदेश की टीम में खेलने का मौका मिला। 2020 में नितीश ने आंध्र प्रदेश के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू किया।
नितीश ने 2017-18 की विजय मर्चेंट ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया था। इस टूर्नामेंट में उन्होंने 176.41 की औसत से 1237 रन बनाए थे, जिसमें एक तिहरा शतक, दो शतक और दो अर्धशतक शामिल थे। इसके अलावा नागालैंड के खिलाफ उन्होंने 366 गेंदों पर 441 रन की ऐतिहासिक पारी खेली थी। 2018 में बीसीसीआई ने उन्हें अंडर-16 कैटगरी का बेस्ट क्रिकेटर चुना और इस दौरान उनकी मुलाकात विराट कोहली से हुई थी, जिन्हें नितीश ने अपना आदर्श माना।
आईपीएल से मिली पहचान
नितीश को असली पहचान 2023 में आईपीएल से मिली, जब सनराइजर्स हैदराबाद ने उन्हें 20 लाख रुपये में खरीदा। हालांकि 2023 में उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले, लेकिन 2024 में उन्होंने अपनी टीम के लिए शानदार प्रदर्शन किया। 11 पारियों में उन्होंने 303 रन बनाएं और 7 पारियों में 3 विकेट भी लिए।
नितीश ने अक्टूबर 2024 में बांग्लादेश के खिलाफ टी20 सीरीज से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया। इसके बाद उन्हें बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भी खेलने का मौका मिला, और पहले ही टेस्ट मैच में 41 और 38* रनों की पारी खेलकर यह साबित कर दिया कि उन्हें क्यों टीम में जगह मिली।
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