नई दिल्ली। लंबे समय तक पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन करने वाली दिग्गज भारतीय महिला मुक्केबाज मैरी कॉम (Mary Kom) ने संन्यास लेने का ऐलान किया है। उन्होंने एक कार्यक्रम में संन्यास का ऐलान करते हुए कहा कि मैं अभी और खेलना चाहती हूं। लेकिन उम्र की वजह से मुझे खेलने नहीं दिया जा रहा है। बता दें कि उनकी उम्र 40 के ऊपर हो चुकी है और मुक्केबाजी संघ 40 साल तक के ही मुक्केबाजों को लड़ने की इजाजत देता है। आइए बताते हैं मैरी कॉम की कुछ खास उपलब्धियों के बारे में।
मैरी कॉम का जन्म भारत के ग्रामीण मणिपुर के चुराचांदपुर जिले के मोइरांग लमखाई के कागथेई गांव में हुआ था। वो एक गरीब परिवार से थीं। बता दें कि साल 2001 में उन्होंने अपना डेब्यू किया। उस वक्त वह केवल 18 साल की थीं जब उन्होंने अमेरिका में पहली एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में 48 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक अपने नाम किया था। 2010 में मैरी कॉम ने कजाकिस्तान में एशियाई महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। मैरी कॉम ने साल 2012 लंदन ओलंपिक में भी ब्रॉन्ज मेडल जीता था। 2014 में दक्षिण कोरिया के इंचियोन में एशियाई खेलों में मैरी कॉम स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बनी थी और वो 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज भी बनीं थी। बता दें कि वो रिकॉर्ड छह बार एमेच्योर एशियाई बॉक्सिंग चैंपियन बनने वाली एकमात्र मुक्केबाज हैं।
साल 2006 में मैरी कॉम को पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। वहीं, 2009 में उनको देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी नवाजा गया। इसके अलावा 2020 में पद्मविभूषण, 2013 में पद्मभूषण, 2009 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड तथा 2003 में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया।
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