Maninder Singh Exclusive: इंग्लैंड हारा है इसलिए पिच को लेकर इतना हो-हल्ला किया जा रहा है: मनिंदर सिंह

Maninder Singh Exclusive: चेन्नई की पिच बल्लेबाज़ों के लिए मुश्किल थी लेकिन खतरनाक नहीं थी. भारत में दूसरे क्षेत्रों में ऐसी पिचें बनती रही हैं. सच तो यह है कि पहले क्रिकेट टेस्ट में जिस पिच पर मैच खेला गया, वहां खूब रन बने, खूब विकेट भी गिरे. सच तो यह है कि वहां भारतीय गेंदबाज़ी ने निराश किया. हमने वास्तव में अच्छी गेंदबाज़ी नहीं की.

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Maninder Singh Exclusive: इंग्लैंड हारा है इसलिए पिच को लेकर इतना हो-हल्ला किया जा रहा है: मनिंदर सिंह

Aanchal Pandey

  • February 17, 2021 12:58 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

Maninder Singh Exclusive: मुझे समझ में यह नहीं आ रहा कि चेन्नई की पिच को लेकर इतना हो-हल्ला क्यों किया जा रहा है. क्या इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड अपनी स्ट्रैंथ के हिसाब से पिच तैयार नहीं करता. वो लोग वैसी पिच तैयार करते हैं जो उनके गेंदबाज़ों के अनुकूल होती है. यही काम ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका भी करता हैं. यहां पिचों से शिकायत करने से ज़्यादा अपने खेल पर ध्यान देना ज़्यादा महत्वपूर्ण है.

चेन्नई की पिच बल्लेबाज़ों के लिए मुश्किल थी लेकिन खतरनाक नहीं थी. भारत में दूसरे क्षेत्रों में ऐसी पिचें बनती रही हैं. सच तो यह है कि पहले क्रिकेट टेस्ट में जिस पिच पर मैच खेला गया, वहां खूब रन बने, खूब विकेट भी गिरे. सच तो यह है कि वहां भारतीय गेंदबाज़ी ने निराश किया. हमने वास्तव में अच्छी गेंदबाज़ी नहीं की. हारने के बाद आम तौर पर इस तरह की टिप्पणियां की जाती हैं. दूसरे टेस्ट में इंग्लैंड हारा है तो इस तरह की टिप्पणियां स्वाभाविक भी हैं. हालांकि यह सब लिखते हुए मैं इस पिच को पूरी तरह से इस पिच का बचाव नहीं करूंगा लेकिन सच यही है कि ऐसी पिचें बन रही हैं.

आपको याद होगा कि 2008 में कानपुर में साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट में पिच पर आईसीसी ने भी दखलंदाज़ी की थी. वह पिच वास्तव में खतरनाक थी. उस पिच पर बल्लेबाज़ी करना वास्तव में मुश्किल था, जबकि पहले क्रिकेट टेस्ट में पहले दो दिन पिच का मिजाज़ बिल्कुल सपाट था. अगर हमारे गेंदबाज़ों ने वहां अच्छी गेंदबाज़ी की होती तो इंग्लैंड इतना बड़ा स्कोर खड़ा नहीं कर सकता था. दूसरे, हमारे गेंदबाज़ों का चयन भी सवालों के घेरे में था. वहां शाहबाज़ नदीम को खिलाना तो ठीक था क्योंकि उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ रांची टेस्ट में काफी अच्छी गेंदबाज़ी की थी लेकिन वाशिग्टन सुंदर को उनकी बल्लेबाज़ी की खूबी से खिलाना बिल्कुल भी सही नहीं था. खासकर तब जबकि आर अश्विन के रूप में दूसरा ऑफ स्पिनर टीम में पहले से मौजूद था. वहां लेग स्पिनर को खिलाना चाहिए था. अब यह तय हो गया है कि टीम मैनेजमेंट का कुलदीप यादव पर भरोसा नहीं है.

वहीं रविचंद्रन अश्विन को बल्लेबाज़ी करते हुए देखना काफी अच्छा लगा. दरअसल उनकी बल्लेबाज़ी को देखकर मुझे ऐसा लगा जैसे वह अपने कप्तान को यह साबित कर रहे हैं कि वह नम्बर आठ के बल्लेबाज़ नहीं है. आखिर क्यों उन्हें अक्षर पटेल के रूप में अपना पहला टेस्ट खेल रहे खिलाड़ी से भी नीचे भेजा गया है. इतना ही नहीं, उन्होंने वह अपने प्रदर्शन से यह बताना चाह रहे थे कि वह एक पारी में पांच विकेट लेने के बाद सेंचुरी लगाने का कमाल भी कर सकते हैं. उन्होंने यह साबित कर दिया कि यह उतनी भी खराब पिच नहीं है कि इस पर बल्लेबाज़ी ही न की जा सके.

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