Mahendra Singh Dhoni Retirement: अगर भारतीय टीम विश्व फलक पर आज एक अलग पहचान बना पाई है तो उसके पीछे महेंद्र सिंह धोनी की मेहनत, लगन और तप हैं. 2004 में भारतीय क्रिकेट में लंबे बालों वाला एक खिलाड़ी रांची से आता है और विश्व क्रिकेट में छा जाता है. देखते ही देखते ही ऑस्ट्रेलिया जैसी बड़ी टीमों को भारत उनकी कप्तानी में हराना शुरू कर देता है. ये भारतीय क्रिकेट का नया उदय था, अब कोई भी भारतीय बल्लेबाज ब्रेटली, अख्तर, उमर गुल और मिशेल जॉनसन जैसे गेदबाजों से नहीं डरता, बल्कि क्रीच पर खड़ा होकर लंबे-लंबे शाट खेलता है, क्योंकि भारतीय क्रिकेट में नया चैंपियन खिलाड़ी आ गया था जो अपने शांत दिमाग से विपक्षियों को दबाव में डालता था.
नई दिल्ली. क्रिकेट विश्वकप 2019 खत्म हो गया है. इस बार विश्व क्रिकेट को इंग्लैंड के रूप में नया चैंपियन मिला है. भारत का 2019 विश्वकप न्यूजीलैंड से सेमीफाइनल में 18 रनों से मिली हार के साथ खत्म हो गया था. टीम इंडिया इस समय स्वदेश भी लौट आई है और वेस्टइंडीज के साथ खेले जानी वाली सीरीज को लेकर खिलाड़ियों के चयन में माथापच्ची जारी हैं. इन सब के बीच जो सबसे ज्यादा चर्चा का विषय हैं, वो हैं भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के संन्यास की, हालांकि महेंद्र सिंह धोनी ने अपने संन्यास को लेकर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके संन्यास को लेकर तरह-तरह की खबरे सामने आ रही हैं. ऐसा माना जा रहा है कि धोनी अब वनडे और टी-ट्वेटी क्रिकेट से संन्यास ले सकते हैं, क्योंकि संन्यास को लेकर उन पर दबाव भी बनाया जा रहा है. पिछले कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि अगर धोनी संन्यास की घोषणा नहीं करते हैं तो चयनकर्ता उन्हें खुद बाहर करने को मजबूर हो जाएंगे.
महेंद्र सिंह धोनी को अगर भारतीय क्रिकेट टीम से बाहर किया जाता है तो उनके साथ किसी बदसलूकी से कम नहीं होगा और बीसीसीआई का यह रवैया भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान को भुलाने जैसा होगा, क्योंकि धोनी ने भारतीय क्रिकेट को वो सब कुछ दिया है जिसकी भारतीय टीम को जरूरत थी. धोनी दुनिया के इकलौते ऐसे कप्तान हैं जिनकी कप्तानी में कोई टीम तीनो प्रारूपों (वर्ल्ड कप, टी-ट्वेंटी वर्ल्ड कप और चैंपियन ट्रॉफी) की ट्रॉफी जीती है. हालांकि 2019 वर्ल्ड कप में धीमी बल्लेबाजी को लेकर धोनी की काफी अलोचनाएं हो रही है. यही कारण है कि उन्हें पूर्व क्रिकेटरों ने संन्यास की सलाह दे डाली. 2019 वर्ल्ड कप में महेंद्र सिंह धोनी ने 9 मैचों में 45.50 की औसत से 273 रन बनाए हैं. वहीं विकेटकीपिंग में उन्होंने 7 कैच लिए और 3 स्टंप आउट किए.
न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में उन्होंने 50 रन की पारी खेली, लेकिन टीम को जीत नहीं दिला सके. धोनी को 50 रन बनाने के लिए करीब 70 गेदों का सामना करना पड़ा. जिसके लिए उनकी काफी अलोचना भी हुई क्योंकि, धोनी धीमी बल्लेबाजी के लिए नहीं धमाकेदार बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं. न्यूजीलैंड के खिलाफ महेंद्र सिंह धोनी जब बल्लेबाजी करने आए तो टीम को उनकी सख्त जरूरत थी. भारतीय फैंस को उम्मीद थी कि धोनी 2011 वर्ल्ड कप की तरह टीम को गगनचुंबी छक्का मारकार जिताएंगे लेकिन मार्टिंन गुप्टिल के थ्रो ने भारतीय फैंस के उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
धोनी के आउट ही भारत के फाइनल में पहुंचनें की उम्मीदे भी खत्म हो गई. इस बार कोहली को उछलने का मौका भी नहीं मिला कि वो जीत दिलाने के बाद स्टेडियम में आकर धोनी को उछलते हुए गले लगा लें. अगर बीसीसीआई और चयनकर्ता महेंद्र सिंह धोनी को सही मायने में सम्मान देना चाहते हैं और भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान को नहीं भूलाना चाहते हैं तो धोनी के संन्यास का फैसला उनपर खुद छोड़ देना चाहिए और धोनी को टी-ट्वेंटी वर्ल्ड कप 2020 तक खेलने देना चाहिए.
(डिस्क्लेमर- ये लेखक के अपने विचार हैं जरूरी नहीं की इनखबर डॉट कॉम इससे सहमत हो)