Kiran More on Eng-Pak Series: यह ठीक है कि दोनों को उनकी विकेटकीपिंग परफॉर्मेंस की वजह से नहीं बल्कि बैटिंग परफॉर्मेंस की वजह से इस पुरस्कार के लिए चुना गया, जबकि आपने सीरीज में यह महसूस ज़रूर किया होगा कि बटलर की कीपिंग में काफी खामियां थीं। दोनों ने इस सीरीज़ में ज़मकर बल्लेबाज़ी की। इनमें बटलर तो मैच विनर साबित हुए। कहां तो वह एक समय आउट ऑफ फॉर्म थे।
आम तौर पर विकेटकीपर को मैन ऑफ द मैच या मैन ऑफ द सीरीज़ पुरस्कार से कम ही नवाजा जाता है लेकिन इंग्लैंड-पाकिस्तान टेस्ट सीरीज़ में दोनों टीमों के विकेटकीपरों को सीरीज़ का बेस्ट प्लेयर का अवॉर्ड मिलते देखना बहुत अच्छा लगा। इसके लिए पाकिस्तान के मोहम्मद रिज़वान और इंग्लैंड के जोस बटलर को बहुत-बहुत बधाई।
यह ठीक है कि दोनों को उनकी विकेटकीपिंग परफॉर्मेंस की वजह से नहीं बल्कि बैटिंग परफॉर्मेंस की वजह से इस पुरस्कार के लिए चुना गया, जबकि आपने सीरीज में यह महसूस ज़रूर किया होगा कि बटलर की कीपिंग में काफी खामियां थीं। दोनों ने इस सीरीज़ में ज़मकर बल्लेबाज़ी की। इनमें बटलर तो मैच विनर साबित हुए। कहां तो वह एक समय आउट ऑफ फॉर्म थे। उनकी टीम में जगह को लेकर भी सवाल उठ रहे थे लेकिन बटलर न सिर्फ अपनी खराब फॉर्म से उबरे बल्कि अपनी टीम को मैच जिताकर उन्होंने अपनी बल्लेबाज़ी को बहुत ऊंचे स्तर पर पहुंचा दिया। इसके लिए इंग्लैंड के चयनकर्ता और कोच बधाई के पात्र हैं जिन्होंने ऐसे खिलाड़ी पर टेस्ट क्रिकेट में दांव खेला जिसकी विकेटकीपिंग औसत दर्जे की साबित हुई लेकिन इस खिलाड़ी ने अपने शानदार खेल से अपनी टीम को टेस्ट सीरीज़ जिताने में बड़ा योगदान दिया।
वहीं रिज़वान ने ऐसे समय में शानदार बल्लेबाज़ी की जब उनकी टीम के ज्यादातर बल्लेबाज़ चल नहीं पा रहे थे। रिज़वान अच्छे विकेटकीपर हैं और यहां यह भी सच है कि इंग्लैंड में विकेटकीपिंग करना आसान नहीं होता। गेंद का पूर्वानुमान लगाना अनुभव से आता है। रिज़वान ने इस चैलेंज़िंग माहौल में बढ़िया विकेटकीपिंग करके सीमित ओवर के क्रिकेट में भी अपनी जगह पक्की कर ली लेकिन वहीं बटलर ने इससे पहले टेस्ट में ज़्यादा विकेटकीपिंग नहीं की थी। अब तो प्लेइंग इलेवन में ओली पोप भी मौजूद हैं जो एक टेस्ट में विकेटकीपिंग कर चुके हैं। जॉनी बेयरस्टो के पास कभी यह ज़िम्मेदारी हुआ करती थी जो अब इंग्लैंड की सीमित ओवर क्रिकेट का हिस्सा हैं लेकिन यहां ज़रूरी है कि बटलर अपनी कीपिंग के स्तर को सुधारें। वह राष्ट्रीय स्तर के विकेटकीपर भी नहीं लगते। उनकी कीपिंग में कई खामियां हैं। पाकिस्तान के खिलाफ उनकी कमियां तेज़ गेंदबाज़ों के सामने भी उजागर हुईं और स्पिनर्स के सामने भी। बटलर ने कैच भी छोड़े और स्टम्पिंग के मौके भी। इसके बावजूद चयनकर्ताओं ने उन पर भरोसा बनाए रखा। अब मैच विनर बनने के बाद वह बढ़े हुए मनोबल के साथ आगे के टेस्टों में उतरेंगे। ये अनुभव उनके बहुत काम आने वाला है।
ऐसा नहीं है कि हमारे समय में विकेटकीपर में बल्लेबाज़ी की खूबी नहीं देखी जाती थी। मैं भी घरेलू क्रिकेट में अच्छे खासे रन बनाने के बाद टेस्ट टीम में आया लेकिन आज विकेटकीपर के लिए बल्लेबाज़ी का महत्व पहले से ज़्यादा बढ़ गया है। एक विकेटकीपर का अच्छा बल्लेबाज़ होना टीम में एक ऑलराउंडर की कमी को पूरा करता है। इतना ही नहीं, इससे टीम में एक अतिरिक्त गेंदबाज़ को खिलाने का विकल्प बढ़ जाता है। आज देखने में आ रहा है कि हल्की विकेटकीपिंग के बावजूद बल्ले से मैच जिताने पर तमाम कमियों पर पर्दा पड़ जाता है।
यह सच है कि एंडी फ्लावर, कुमार संगकारा, एडम गिलक्रिस्ट, इयान हीली और मार्क बाउचर जैसे शानदार विकेटकीपरों का बल्लेबाज़ी में चमकना विश्व क्रिकेट के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। इसमें आप धोनी को भी रख सकते हैं, जिन्होने अपनी शानदार बल्लेबाज़ी से सबका दिल जीत लिया।
(लेखक टीम इंडिया के पूर्व विकेटकीपर हैं जो 49 टेस्ट और 94 वनडे खेल चुके हैं)