फुटबॉलर से आतंकी बने जम्मू-कश्मीर के इस 20 वर्षीय खिलाड़ी की ये है दिलचस्प कहानी

अनंतनाग में प्रतिभा से अलग पहचान बना चुका माजिद ने आतंक का रास्त छोड़कर सरेंडर करने का फैसला किया है.

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फुटबॉलर से आतंकी बने जम्मू-कश्मीर के इस 20 वर्षीय खिलाड़ी की ये है दिलचस्प कहानी

Aanchal Pandey

  • November 17, 2017 2:26 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

कश्मीर. आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग का एक फुटबॉलर अब आतंक का रास्ता छोड़कर वापस आ गया है. बता दें कि 20 साल का माजिद खान कुछ समय पहले ही फुटबॉल छोड़कर आतंकी संगठन में शामिल हुआ था. जिसके बाद दोस्तों और परिवार वालों की अपील पर उसने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है.खान ने आतंकवादी संगठन में शामिल होने का अपना इरादा कुछ दिनों पहले अपने एक फेसबुक पोस्ट में जाहिर किया था. उसने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि जब शौक ए शहादत हो दिल में, तो सूली से घबराना क्या.

माजिद एनजीओ के साथ काम कर चुका है. माजिद एक अच्छा फुटबॉल खिलाड़ी था. बचपन से ही पढ़ाई और खेलकूद में आगे रहने वाले माजिद ने 10वीं और 12वीं में भी अच्छे अंक प्राप्त किए थे. माजिद काफी कम उम्र में ही अनंतनाग में प्रतिभा से अलग पहचान बना चुका था. माजिद अपनी टीम का बेहतरीन गोलकीपर माना जाता था. कश्मीर पुलिस के महानिरीक्षक मुनीर खान ने कहा कि पुलिस हथियार डालने वाले और मुख्य धारा में लौटने वाले किसी भी स्थानीय आतंकवादी की सभी जरूरी मदद करेगी.

कैसे भटक गया था आतंक के रास्ते पर

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक माजिद ने अपने करीबी दोस्त के कारण आतंकी बनने का निर्णय लिया था. माजिद का एक दोस्त यावर निसार एक आतंकी संगठन में शामिल हो गया था. निसार को पुलिस ने अगस्त के पहले सप्ताह में एक एनकाउंटर में मार गिराया. इस घटना ने उसकी जिंदगी बदल दी और उसने आतंकी बनने का फैसला किया.

आतंकी संगठन में शामिल होने की खबर उसके दोस्तों और परिजनों को चौकाने वाली थी. माजिद के इस फैसले से उसके मां-बाप काफी दुखी हो गए थे. माजिद की मां का अपने बेटे को वापस बुलाने की अपील करता हुआ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. सोशल मीडिया पर चल रहे एक वीडियो में खिलाड़ी से आतंकी बनने वाले माजिद की मां आयशा अपने बेटे से वापसी की गुहार लगाई थी. वीडियो में आयशा कह रही हैं कि, ‘लौट आओ और हमारी जान ले लो, उसके बाद चले जाना, तुम मुझे किसके लिए छोड़ गए?’

इसके साथ ही उसके दोस्त और परिजन लगातार उसके सोशल मीडिया अकाउंट की मदद से उसे वापस बुलाने का प्रयास करते रहे. अपने दोस्तों और परिवार वालों की बात मानते हुए माजिद ने आतंक की दुनिया को छोड़कर सरेंडर करने का फैसला किया.

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