मुंबई: सातारा जिले की सह्याद्रि सहकारी शक्कर कारखाना के चुनाव परिणामों ने महाराष्ट्र की राजनीति में नई चर्चा को जन्म दे दिया है। इस चुनाव में शरद पवार गुट के नेता और पूर्व मंत्री बालासाहेब पाटिल ने शानदार जीत दर्ज की है। खास बात यह रही कि यह चुनाव बैलेट पेपर से हुआ था, और इसमें भाजपा के वर्तमान विधायक मनोज घोरपड़े को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।
गौरतलब है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा नीत महायुति ने भारी जीत हासिल की थी। भाजपा को 130, एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार की राकां को 41 सीटें मिली थीं। विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (मविआ) ने इस जीत पर सवाल उठाते हुए ईवीएम की विश्वसनीयता पर संदेह जताया था और बैलेट पेपर से चुनाव की मांग की थी।
अब सह्याद्रि फैक्ट्री के परिणामों ने मविआ के इस तर्क को बल दिया है। इस चुनाव में कुल 26,081 मतदाताओं ने हिस्सा लिया। बालासाहेब पाटिल के पैनल को 15,000 से अधिक वोट मिले, जबकि मनोज घोरपड़े और कांग्रेस नेता उदयसिंह पाटिल के पैनल को सिर्फ 7,000 से 8,000 वोट ही मिल सके। वहीं तीसरे पैनल को मात्र 2,200 से 2,300 मतों से संतोष करना पड़ा।
यह वही मनोज घोरपड़े हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव में बालासाहेब पाटिल को 43,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। लेकिन शक्कर कारखाने के इस चुनाव में पाटिल ने पूरी तरह से वापसी करते हुए सभी 21 निदेशक सीटों पर जीत हासिल की। शरद पवार गुट की महिला प्रदेश अध्यक्ष रोहिणी खड़से ने कहा, “जहां विधायक को हजारों वोट मिले थे, वहीं अब बैलेट पर हुए चुनाव में उन्हें उसके आधे भी वोट नहीं मिले।” अब यह चर्चा गर्म है कि क्या ईवीएम बनाम बैलेट पेपर की बहस को फिर से गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
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