नई दिल्ली: मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर बॉक्सिंग डे टेस्ट के तीसरे दिन भारतीय ऑलराउंडर नीतीश कुमार रेड्डी ने शतक जड़कर सबका ध्यान आकर्षित किया। इस शानदार पारी में उन्होंने 10 चौके और 1 छक्का लगाया, जिससे मेलबर्न में भारतीय दर्शक झूम उठे। हालांकि, इस खिलाड़ी का क्रिकेट करियर आसान नहीं था। जब वह केवल 12 साल के थे, उनके पिता उन्हें भारतीय क्रिकेटर और पूर्व सिलेक्टर एमएसके प्रसाद के पास ले गए।
नीतीश कुमार रेड्डी के पिता का मानना है कि एमएसके प्रसाद का उनके बेटे के करियर में अहम योगदान रहा। जब नीतीश कुमार रेड्डी को एमएसके प्रसाद से मिलवाया गया, तो उन्होंने उनकी बैटिंग और गेंदबाजी की काबिलियत का मूल्यांकन किया। प्रसाद ने नीतीश की प्रतिभा को पहचाना और आंध्र क्रिकेट मैनेजमेंट से उनका परिचय कराया, जिससे उनके करियर को दिशा मिली।
हालांकि, नीतीश कुमार रेड्डी का सफर बिना संघर्ष के नहीं था। उन्हें अपनी पढ़ाई और क्रिकेट के खर्चे उठाने के लिए आर्थिक मदद की जरूरत थी। आंध्र क्रिकेट मैनेजमेंट ने उन्हें हर महीने 15 हजार रुपये की मदद दी, जिससे वह अपने खर्चे पूरे कर सके और क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित कर सका। आईपीएल में अपनी शानदार खेल से नीतीश ने सभी का ध्यान खींचा और इसके बाद उन्हें भारतीय टीम में खेलने का अवसर मिला।
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