नई दिल्ली. हर देश की क्रिकेट टीम का एक सपना होता है कि वह एक नाम एक बार वर्ल्ड जीते, अगर कमजोर टीम ये उम्मीद करे तो ये थोड़ी बेमानी लगती है क्योंकि कमजोर टीम उलटफेर एक दो बार कर सकती है ना कि बार बार. लेकिन भारत के एक कप्तान ने ना केवल उम्मीद जगाई बल्कि उस उम्मीद के सहारे अपनी कमजोर टीम को विश्व विजेता बनाया. इस कप्तान का नाम है कपिल देव, आज यानी 6 जनवरी को कपिल देव अपना 59वां जन्मदिन मना रहे हैं.
भारत के सफलतम कप्तानों में से एक कपिल देव का जन्म 6 जनवरी 1959 को हुआ था. भारतीय क्रिकेट में कपिल देव को योगदान अतुलनीय है. 1983 में कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया ने पहली बार वेस्ट इंडीज को हराकर वर्ल्ड कप जीता. कपिल ने नई प्रतिभाओं को निखारने में भी अहम भूमिका निभाई. एक गेंदबाज के रूप में टीम में शामिल हुए कपिल देव ने एक ऑलराउंडर के रूप में वर्ल्ड क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई. कपिल पहले ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्होंने यह दिखाया कि छोटे शहरों से आई प्रतिभाएं भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना रुतबा कायम कर सकती हैं. कपिल देव से जुड़ी एक सबसे बड़ी बात यह है कि वह चोट या खराब फिटनेस की वजह से कभी भी टीम से बाहर नहीं हुए.
हां, एक बार उन्हें जरूर टीम से निकाला गया था, जब दिसंबर 1984 में इंग्लैंड के खिलाफ कोलकाता टेस्ट में उन्हें ड्रॉप कर दिया गया था. जिससे फैंस काफी नाराज हुए थे. उस टेस्ट से पहले दिल्ली टेस्ट में उनकी गैरजिम्मेदाराना बल्लेबाजी को उसकी वजह बताई गई थी. कपिल देव को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिए हुए 23 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी उनके आंकड़े बेमिसाल हैं. कपिल ने अपने टेस्ट करियर में 5248 रन बनाए और 434 विकेट लिए. वह अब तक अकेले ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने 5000 रन और 400 विकेट का आंकड़ा पार किया है. कपिल ने 225 वनडे मैचों में 3783 रन बनाए और 253 विकेट भी लिए. आपको ये जानकार हैरानी होगी टेस्ट मैचों में 184 पारियों के बाद भी कपिल देव कभी रन आउट नहीं हुए
1983 वर्ल्ड कप के एक अहम मुकाबले में जिम्बाव्वे के खिलाफ 17 रन पर भारत के 5 विकेट गिर गए थे. कपिल देव ने उस मैच में 175 रनों की नाबाद और ऐतिहासिक पारी खेली थी. कपिल ने सैयद किरमानी के साथ नौवें विकेट के लिए नाबाद 126 रनों की साझेदारी निभाई थी. भारत ना केवल वो मैच जीता उसके बाद टूर्नामेंट भी अपने नाम किया.
1983 के वर्ल्ड कप में कपिल देव ने शानदार प्रदर्शन किया. उन्होंने 8 मैचों में 303 रन बनाए, 12 विकेट और 8 कैच लिए. जिंबाब्वे के खिलाफ उनकी 175 रनों की अविश्वसनीय पारी ने टीम इंडिया को क्वार्टर फाइनल में पहुंचाया था. बाद में भारत ने वेस्ट इंडीज जैसी ताकतवर टीम को हराकर वर्ल्ड कप जीता. यह भारतीय क्रिकेट में नए युग की शुरुआत साबित हुआ.
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