नई दिल्ली: नेहरू ट्रॉफी बोट रेस के प्रशंसक इस साल निराशा हो सकते है, क्योंकि प्रतिष्ठित बोट रेस का आयोजन होने की संभावना बेहद कम बताई जा रही है। केरल बोट रेस फेडरेशन समन्वय समिति के प्रतिनिधियों ने बोट रेस के संबंध में मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री से मुलाकात की है, लेकिन सरकार की ओर […]
नई दिल्ली: नेहरू ट्रॉफी बोट रेस के प्रशंसक इस साल निराशा हो सकते है, क्योंकि प्रतिष्ठित बोट रेस का आयोजन होने की संभावना बेहद कम बताई जा रही है। केरल बोट रेस फेडरेशन समन्वय समिति के प्रतिनिधियों ने बोट रेस के संबंध में मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री से मुलाकात की है, लेकिन सरकार की ओर से इस बार वार्षिक रेगाटा आयोजित करने को लेकर सकारात्मक संकेत नहीं मिल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधियों से कहा कि सरकार ने इस साल बोट रेस आयोजित करने पर गंभीरता से विचार नहीं किया है। इसके पीछे प्रमुख कारण वायनाड में जुलाई के अंत में हुए भूस्खलन को बताया गया है, जिससे सरकार का ध्यान बाकी महत्वपूर्ण मामलों पर केंद्रित हो गया है। बात दें, पर्यटन मंत्री मोहम्मद रियास ने भी इस आयोजन के लिए किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता प्रदान करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए सरकार के लिए यह संभव नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि बोट क्लब और बोट मालिक अपने दम पर रेस आयोजित करना चाहें, तो सरकार इसमें कोई बाधा नहीं डालेगी।
इस बीच, अलप्पुझा के जिला कलेक्टर एलेक्स वर्गीस ने आश्वासन दिया है कि बोट रेस अभी रद्द नहीं हुई है और इसे ओणम के बाद आयोजित किया जा सकता है। उन्होंने यह मुद्दा आगामी कलेक्टर्स के सम्मेलन में उठाने की भी बात कही है। मुख्यमंत्री ने समन्वय समिति की अपील, जिसमें रेगाटा की तैयारियों और खर्चों का जिक्र था उसको पढ़ने के बावजूद, आयोजन की अनुमति देने से मना किया। इसके अलावा, सरकार को इस बात की भी चिंता है कि अगर बोट रेस आयोजित होती है, तो बोट क्लबों को मुआवजा देना पड़ सकता है। बता दें, आयोजकों और बोट क्लबों ने रेस की तैयारियों में भारी खर्च किया था, जो मूल रूप से 10 अगस्त को आयोजित होने वाली थी। अब अगर नई तारीख की घोषणा होती भी है, तो टिकट बिक्री में परेशानी हो सकती है, जिससे आयोजन की सफलता पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
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