नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों में से एक, महेंद्र सिंह धोनी, अपने शांत स्वभाव और बेहतरीन नेतृत्व क्षमता के लिए जाने जाते हैं। अक्सर ‘कैप्टन कूल’ कहे जाने वाले धोनी ने कई मौकों पर धैर्य से टीम को मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकाला है। लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि कभी शांत रहने वाले धोनी भी मैदान पर अपना आपा खो सकते हैं?
दरअसल, 2019 में चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच खेले गए एक मुकाबले में ऐसा देखने को मिला था। यह घटना उस समय की है जब चेन्नई को आखिरी ओवर में 18 रनों की जरूरत थी और धोनी आउट हो चुके थे। तभी एक नो-बॉल को लेकर विवाद हुआ, जिससे नाराज होकर धोनी खुद मैदान में उतर आए और अंपायर से बहस करने लगे। उनके इस व्यवहार पर मैच फीस का 50% जुर्माना भी लगाया गया था।
धोनी ने अपनी गलती मानी
हाल ही में एक इवेंट के दौरान धोनी से इस घटना को लेकर सवाल किया गया। उन्होंने स्वीकार किया कि यह उनकी सबसे बड़ी गलतियों में से एक थी। धोनी ने कहा, “जब मैं उस घटना के बारे में सोचता हूं, तो मुझे बुरा लगता है। मुझे मैदान में नहीं जाना चाहिए था। यह मेरी गलती थी।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि एक कप्तान के नजरिए से यह नैतिक रूप से सही फैसला था, क्योंकि टीम के लिए वह एक अहम क्षण था।
क्या था पूरा विवाद?
यह मुकाबला आईपीएल 2019 का था, जिसमें चेन्नई और राजस्थान की टीमें आमने-सामने थीं। मैच के आखिरी ओवर में अंपायर उल्हास गांधी ने पहले एक नो-बॉल का इशारा किया, लेकिन कुछ ही सेकंड बाद अपना फैसला बदल लिया और उसे लीगल डिलीवरी करार दिया। इस फैसले से नाराज धोनी डगआउट से निकलकर मैदान पर आ गए और अंपायर से बहस करने लगे। हालांकि, अंत में गेंद को वैध करार दिया गया और चेन्नई यह मैच हार गई थी।
धोनी की सलाह
अब जब सालों बाद धोनी ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, तो उन्होंने युवा खिलाड़ियों और कप्तानों को एक महत्वपूर्ण सलाह भी दी। उन्होंने कहा, “जब भी गुस्सा आए, गहरी सांस लें और अपना मुंह बंद रखें। इससे आप बेहतर निर्णय ले सकते हैं।” धोनी के इस बयान से यह साफ हो जाता है कि अनुभव के साथ उन्होंने अपनी गलती को समझा और उससे सीख ली।