October 30, 2024
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दिल्ली कोर्ट: गौतम गंभीर के खिलाफ दोबारा जांच के आदेश, फ्लैट खरीदारों संग की धोखाधड़ी

दिल्ली कोर्ट: गौतम गंभीर के खिलाफ दोबारा जांच के आदेश, फ्लैट खरीदारों संग की धोखाधड़ी

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नई दिल्ली: दिल्ली की अदालत ने फ्लैट खरीदारों से धोखाधड़ी के मामले में पूर्व क्रिकेटर और भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर के खिलाफ नए सिरे से जांच का आदेश दिया है। इस दौरान विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें गौतमगंभीर को आरोपों से बरी कर दिया गया था। बता दें अदालत का मानना है कि आरोपों पर फैसला करने में दिमाग का सही से इस्तेमाल नहीं किया गया।

कंपनियों के ब्रांड एंबेसडर

मामला रियल एस्टेट कंपनियों रुद्र बिल्डवैल रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड, एचआर इन्फ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड और यूएम आर्किटेक्चर्स एंड कॉन्ट्रैक्टर्स लिमिटेड से जुड़ा है। बता दें गौतम इन कंपनियों के ब्रांड एंबेसडर थे और उन पर फ्लैट खरीदारों से कथित धोखाधड़ी का आरोप है। अदालत ने कहा कि गौतम गंभीर ब्रांड एंबेसडर होने के नाते ग्राहकों के साथ सीधे जुड़े हुए थे और उन पर आगे जांच की आवश्यकता है।

Gautam Gambhir

कंपनी से लिए 4 करोड़

न्यायाधीश ने यह भी बताया कि गंभीर का कंपनी के साथ वित्तीय लेन-देन हुआ था और उन्होंने रुद्र बिल्डवैल से छह करोड़ रुपये दिए और कंपनी से 4.85 करोड़ रुपये प्राप्त किए। इसके बाद अदालत ने मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस रकम का सोर्स क्या है वो स्पष्ट नहीं किया गया, न ही यह बताया गया कि क्या इस राशि का संबंध निवेशकों से प्राप्त धन से था। इसके साथ ही मामले की गंभीरता को देखते हुए यह आवश्यक था कि जांच में यह पता लगाया जाए कि क्या कथित धोखाधड़ी से अर्जित धन का कोई हिस्सा गंभीर को मिला था।

गौतम गंभीर के लेनदेन की जांच

इसके अलावा अदालत ने पाया कि गौतम गंभीर न केवल ब्रांड एंबेसडर थे बल्कि 29 जून 2011 से 1 अक्टूबर 2013 तक कंपनी में एक निदेशक के रूप में भी कार्य कर रहे थे। इस अवधि के दौरान ही कंपनी की प्रोजेक्ट्स का विज्ञापन हुआ था। वहीं अदालत ने यह भी कहा कि गंभीर को उनकी भूमिका से इस्तीफा देने के बाद बड़ी धनराशि प्राप्त हुई, जिससे उनके वित्तीय लेनदेन के बारे में जांच जरूरी है। वहीं अब अदालत के इस आदेश के बाद मामले में गौतम गंभीर की भूमिका की विस्तृत जांच की जाएगी, जिससे कथित धोखाधड़ी के सभी पहलुओं का खुलासा हो सके।

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