Cricket Stories: एडमंड बार्टन ऑस्ट्रेलिया के पहले प्रधानमंत्री जो क्रिकेट अंपायर भी थे

Cricket Stories: एडमंड बार्टन उस मैच में अंपायर थे. 1879 में इंग्लैंड इलेवन की टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई. 7 फरवरी 1879 शुक्रवार के दिन इंग्लैंड और न्यूसाउथ वेल्स के बीच सिडनी में मैच खेला गया. इंग्लैंड के कप्तान लॉर्ड हैरिस थे जबकि न्यूसाउथ वेल्स के कप्तान ऑस्ट्रेलियाई टीम के रेग्यूलर कप्तान डेव ग्रेगोरी थे.

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Cricket Stories: एडमंड बार्टन ऑस्ट्रेलिया के पहले प्रधानमंत्री जो क्रिकेट अंपायर भी थे

Aanchal Pandey

  • February 24, 2019 12:38 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. ये तस्वीर ऑस्ट्रेलिया के पहले प्रधानमंत्री एडमंड बार्टन की है. इन्हें तो आप जानते ही होंगे. ये अपने जमाने के मशहूर राजनेता नामी वकील और जज भी थे. इसके अलावा एडमंड बार्टन ऑस्ट्रेलिया हाईकोर्ट की स्थापना करने वाले संस्थापक सदस्यों में से एक थे. वह 1 जनवरी 1901 से लेकर 24 सिंतबर 1903 तक ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री रहे. इसके बावजूद बहुत कम लोगों को जानकारी है कि ऑस्ट्रेलिया के पहले प्रधानमंत्री ने क्रिकेट मैचों में अंपायर की भूमिका भी निभाई.

साल 1879 में सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर दंगा हुआ जो क्रिकेट इतिहास में Sydney Riot के नाम से दर्ज है. तब सिडनी क्रिकेट मैदान को मूर पार्क के नाम से जाना जाता था. एडमंड बार्टन उस मैच में अंपायर थे. 1879 में इंग्लैंड इलेवन की टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई. 7 फरवरी 1879 शुक्रवार के दिन इंग्लैंड और न्यूसाउथ वेल्स के बीच सिडनी में मैच खेला गया. इंग्लैंड के कप्तान लॉर्ड हैरिस थे जबकि न्यूसाउथ वेल्स के कप्तान ऑस्ट्रेलियाई टीम के रेग्यूलर कप्तान डेव ग्रेगोरी थे.

ये वही लॉर्ड हैरिस थे जो बाद में बॉम्बे के गर्वनर बने जिनका कार्यकाल 27 मार्च 1890 लेकर 16 फरवरी 1895 तक रहा. उस समय मैच के लिए एक-एक अंपायर का चुनाव टीमें स्वयं करती थीं. मेरिलबोन क्रिकेट क्लब की मांग पर इंग्लिश टीम ने विक्टोरिया के जॉर्ज कैथर्ड को अंपायर चुना जबकि न्यूसाउथ वेल्स की टीम ने एडमंड बार्टन को अंपायर नियुक्त किया. जॉर्ज कैथर्ड उन दिनों ऑस्ट्रेलिया के मशहूर फुटबॉल क्लब कार्ल्टन क्लब के स्टार फुटबॉलर हुआ करते थे. हालांकि कैथर्ड प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेले.

मैच के पहले दिन जब इंग्लिश कप्तान लॉर्ड हैरिस बल्लेबाजी कर रहे थे तो न्यूसाउथ वेल्स के विकेटकीपर बिली मुर्डोक ने कॉट बिहाइंड की जबरदस्त अपील की जिसे अंपायर जॉर्ज कैथर्ड ने ठुकरा दिया. इंग्लैंड इलेवन की टीम ने पहली पारी में 267 रन बनाए. न्यूसाउथ वेल्स की ओर से इवांस और स्पोफोर्थ ने 5-5 विकेट लिए.

बल्लेबाजी करने आई न्यूसाउथ वेल्स की टीम अपनी पहली पारी में महज 177 रनों पर बिखर गई. इंग्लैंड के टॉम इमेट ने 7 खिलाड़ियों को आउट किया. मेजबान टीम इंग्लैंड की पहली पारी के आधार पर 90 रनों से पीछे थी. इंग्लैंड के कप्तान ने न्यूसाउथ वेल्स की टीम से दोबारा बैटिंग करने को कहा.
दूसरी पारी में न्यूसाउथ वेल्स के बल्लेबाज बिली मुर्डोक जब 10 रन पर खेल रहे थे तो अंपायर जॉर्ज कैथर्ड ने उन्हें रन आउट दे दिया. अंपायर के इस निर्णय से दर्शक सहमत नही थे और उन्होंने कैथर्ड पर आरोप लगाया की उन्होंने मुर्डोक को जानबूझकर आउट दिया है.

द सिडनी हेराल्ड अखबार ने लिखा कि अंपायर कैथर्ड ने इंग्लैंड की जीत के लिए शर्त लगाई है. अखबार के इस आरोप को इंग्लिश कप्तान लॉर्ड हैरिस और अंपायर कैथर्ड ने नकार दिया. अखबार ने अपने मॉर्निंग एडिशन में लिखा कि पहले दिन कैथर्ड ने निश्चित ही गलती की और लॉर्ड हैरिस को आउट नहीं दिया. इस खबर ने अंपायर कैथर्ड को विलेन बना दिया.

अगले दिन मैच के दौरान दर्शकों ने जमकर विरोध किया जिसके चलते मैच बीच में रोकना पड़ा. इंग्लिश कप्तान लॉर्ड हैरिस न्यूसाउथ वेल्स के कप्तान डेव ग्रेगोरी से बात करने गए. ग्रेगोरी ने कहा कि पहले आप अंपायर बदलिए. हैरिस ने अंपायर कैथर्ड को हटाने से इनकार कर दिया और कहा कि उनके द्वारा दिया गया निर्णय सही है. दूसरे अंपायर एडमंड बार्टन ने भी कैथर्ड का पक्ष लिया और कहा कि मुर्डोक रन आउट थे.

हैरिस और ग्रेगोरी के बीच तीखी बहस होने लगी. उसी समय करीब दो हज़ार दर्शक बीच मैदान पर आ गए. एक दर्शक ने अंपायर कैथर्ड को धक्का दिया हैरिस कैथर्ड को संभालने लगे तो दूसरे व्यक्ति ने हैरिस पर चाबुक से वार कर दिया. दर्शकों ने अंपायर कैथर्ड को जान से तक मारने को कहा. जब ये सब मैदान पर हो रहा था तो उस समय इंग्लैंड के खिलाड़ी हार्नबी पास में खड़े थे. हार्नबी क्रिकेटर होने के साथ-साथ शौकिया तौर पर मुक्केबाज भी थे. उन्होंने हैरिस पर अटैक करने वाले शख्स को पकड़ा और उसे घसीटा. इसके बाद जब हार्नबी वापस आ रहे थे तो उनके ऊपर भी अटैक किया गया. बाद में इमेट और यूलियट हाथ में स्टंप लेकर आए और हैरिस को बचाकर मैदान से बाहर ले गए.

करीब 30 मिनट तक दर्शकों और इंग्लैंड के क्रिकेटर्स के बीच कहा-सुनी हुई. इस घटना में अंग्रेज क्रिकेटर्स मामूली चोटिल भी हुए. इंग्लिश खिलाड़ियों को दर्शकों ने खूब गालियां दीं. इतने उपद्रव के बावजूद न्यूसाउथवेल्स के कप्तान अपनी मांग पर अड़े रहे लेकिन हैरिस उनकी मांग से सहमत नहीं थे. लॉर्ड हैरिस ने अंपायर बार्टन से कहा कि ग्रेगोरी अपने लगाए आरोपों को वापस लें और मैच दोबारा शुरू हो. बार्टन ग्रेगोरी को समझाने में सफल हुए लेकिन जैसे ही खेल शुरू हुआ उपद्रवी फिर मैदान पर पहुंच गए. जिसके बाद अंपायर्स ने उस दिन का खेल समाप्त घोषित कर दिया.

10 फरवरी रविवार के दिन एक बार फिर खेल शुरू हुआ. उस दिन मैदान पर कम भीड़ थी क्योंकि अगले दिन वर्किग डे सोमवार था. इंग्लिश बॉलर्स के आगे न्यूसाउथ वेल्स की टीम ने घुटने टेक दिए. न्यूसाउथ वेल्स के 6 बल्लेबाज खाता तक नहीं खोल पाए थे. इंग्लिश गेंदबाज इमेट ने 4 और यूलियट ने 5 खिलाड़ियों को आउट किया. इंग्लैंड की टीम इस मैच को 1 पारी और 41रनों से जीतने में सफल रही. बाद में पता चला कि इस मैच को लेकर सट्टेबाजों ने काफी पैसा लगाया और वह न्यूसाउथ वेल्स को हारते देखना नहीं चाहते थे. कई अख़बारों ने इस दंगे की भर्त्सना की. सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड ने इस घटना को राष्ट्रीय शर्म करार दिया था.

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