नई दिल्ली। इंग्लैंड के बर्मिंघम में 22वें कॉमनवेल्थ गेम्स का रंगारंग आयोजन हो चुका है। इतने बड़े टूर्नामेंट में भारत के कुल 213 खिलाड़ी 16 खेलों में हिस्सा लेंगे। 22वें राष्ट्रमंडल खेल में भारतीय दल की अगुवाई स्टार बैडमिंटन प्लेयर पीवी सिंधु और भारतीय पुरूष हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने की। ओपनिंग सेरेमनी में भारतीय दल के ध्वजवाहक मनप्रीत सिंह ही बने।
भारत को आजादी सन् 1947 में में मिली और आज की तारीख में यह देश दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमारे देश की GDP अब ब्रिटेन की GDP के लगभग है। ऐसे स्थिति में हमारे देश का एक बड़ा तबका कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की भागीदारी के खिलाफ लगातार आवाज उठाता रहा है। विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि यह इवेंट ब्रिटेन की गुलामी का प्रतीक है, इसलिए भारत को इसमें भाग नहीं लेना चाहिए।
राष्ट्रमंडल खेल के विरोध की दूसरी वजह उसमें प्रतिस्पर्धा का कमजोर स्तर है। बता दें कि कॉमनवेल्थ गेम्स का लेवल ओलंपिक और एशियन गेम्स की तुलना में हमेशा से कम रहा है। कुछ खेल विशेषज्ञों का मानना है कि इस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने से भारतीय खिलाड़ियों में कोई सुधार नहीं होता है। वे अन्य देशो के कमजोर खिलाड़ियों को हराकर खुश हो जाते हैं और वहीं ओलिंपिक में इस आत्ममुग्धता की हवा निकल जाती है।
बता दें कि 20वीं सदी की शुरुआत में दुनिया के तकरीबन 40 फिसदी पर हिस्से पर ब्रिटेन का राज था। सन् 1911 में ब्रिटिश साम्राज्य को सेलिब्रेट करने के लिए गेम्स फेस्टिवल ऑफ ब्रिटिश एंपायर की शुरुआत की गई थी। इसी गेम्स फेस्टिवल के तहत पहली बार 1930 में कनाडा के हेमिल्टन शहर में साम्राज्य के अधीन आने वाले देशों की भागीदारी वाले मल्टीस्पोर्ट्स इवेंट की शुरुआत की गई थी। पहले इन गेम्स को ब्रिटिश एम्पायर गेम्स कहा गया लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर कॉमनवेल्थ गेम्स रख दिया गया। उस समय से लेकर अब तक 1942 और 1946 को छोड़कर हर चार साल में इन गेम्स का निरन्तर आयोजन हो रहा है।
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