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कॉमनवेल्थ गेम्स 2022: पूनम के हाथ से फिसला मेडल, ये गलती पड़ी भारी

नई दिल्ली: कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में अब तक वेटलिफ्टिंग इंवेंट में भारत को सात मेडल अपने नाम कर लिए हैं। चौथे दिन हरजिंदर कौर ने वूमेन्स वेटलिफ्टिंग के 71 किलो भारवर्ग में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। फिलहाल, भारत ने चौथे दिन तक कुल 9 मेडल पर कब्ज़ा बना दिया है। इसमें तीन गोल्ड, तीन सिल्वर […]

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कॉमनवेल्थ गेम्स 2022: पूनम के हाथ से फिसला मेडल, ये गलती पड़ी भारी
  • August 2, 2022 4:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में अब तक वेटलिफ्टिंग इंवेंट में भारत को सात मेडल अपने नाम कर लिए हैं। चौथे दिन हरजिंदर कौर ने वूमेन्स वेटलिफ्टिंग के 71 किलो भारवर्ग में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। फिलहाल, भारत ने चौथे दिन तक कुल 9 मेडल पर कब्ज़ा बना दिया है। इसमें तीन गोल्ड, तीन सिल्वर और तीन ही ब्रॉन्ज मेडल शामिल है। 22वें कॉमनवेल्थ गेम्स के पांचवें दिन भारतीय खिलाड़ियों को 9 मेडल मैचों में उतरना है। इनमें वेटलिफ्टर पूनम यादव से भी गोल्ड की उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने पूरी तरह से निराश कर दिया है।

स्नैच राउंड में बेस्ट 98 किग्रा भार उठाकर पूनम दूसरे स्थान पर थी। मगर दूसरे यानी जर्क एंड स्नैच राउंड में पूनम के तीनों प्रयास असफल साबित हुए। इसी राउंड के तीसरे प्रयास में पूनम ने 116 किग्रा भार उठाया था, लेकिन बजर बजने से पहले उन्होंने भार नीचे डाल दिया और इस तरह उनका यह प्रयास असफल रहा।

स्नैच राउंड – बेस्ट अटेंप 98 किग्रा

पहला प्रयास: 95 किग्रा उठाने में असफल
दूसरा राउंड: 95 किग्रा उठाया
तीसरा राउंड: 98 किग्रा उठाया

बता दें, पूनम ने पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में गोल्ड मेडल जीता था। तब वह 69 किग्रा इवेंट में उतरी थीं, इससे पहले 2014 कॉमनवेल्थ में पूनम ने 63 किग्रा इवेंट में ब्रॉन्ज जीता था. वह 2015 कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में भी गोल्ड जीत चुकी है, ऐसे में आज भी पूनम से गोल्ड मेडल की उम्मीद की जा रही है।

पूनम यादव का करियर

वाराणसी के एसएआई प्रशिक्षण केंद्र से पूनम यादव ने वेटलिफ्टंग की ट्रनिंग ली है। इसी केंद्र से इनकी बड़ी बहन ने भी ट्रेनिंग ली थी। जब इनकी बहन ने इस केंद्र में दाखिला लिया था, तो उसके कुछ ही सालों बाद पूनम ने भी इसी केंद्र में दाखिला लिया था। पूनम के बाद इनकी छोटी बहन पूजा ने भी इस केंद्र से वेटलिफ्टंग की ट्रनिंग ली।

पूनम की संघर्ष की कहानी

पूनम की कामयाबी के पीछे उनकी बड़ी बहन का काफी योगदान है। पूनम को आगे बढ़ाने के लिए, उनकी बहन ने अपने करियर के समझौता कर लिया था। और पैसो की कमी के कारण उन्हें अपनी ट्रेनिंग को बीच में छोड़ पड़ा था। इतना ही नहीं पूनम के परिवार वालों के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो अपनी बेटी की ट्रेनिंग में आने वाले खर्चे को भार उठा सके। लेकिन इनके परिवार वालों ने अपनी बेटी को फिर भी ट्रेनिंग लेने दी। दरअसल, ट्रेनिंग का खर्चा उठाने के लिए उनके परिवार वालों ने अपने घर का सामान तक बेच दिया था। गोल्ड पदक जीतकर पूनम ने अपने परिवार वालों के साथ साथ अपने देश का नाम रोशन किया है। वहीं जिस तरह से पूनम कॉमनवेल्थ गेम्स में अभी तक का प्रदर्शन रहा है उसको देखकर लगता है कि ये भारत के लिए अभी और भी पदक जीतेंगी।

 

कॉमनवेल्थ में भारत ने मनवाया लोहा, अब तक भारत ने हासिल किए इतने पदक

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