नई दिल्ली: बॉक्सिंग में भी अब भारत पर मेडल की बरसात हो रही है। रविवार को खेले गए फाइनल मुकाबले में भारत की Nitu Ghanghas ने इंग्लैंड की बॉक्सर को मात दे दी है, 48 किलोग्राम वाले वर्ग में हरियाणा की इस बॉक्सर ने इतिहास रचा है। सभी जज ने इस मैच में नीतू के हक में फैसला दिया और 5-0 से स्वर्ण पदक भारत के नाम हुआ। लेकिन क्या आप जानते हैं, नीतू ने ये मुकाम कैसे हासिल किया।
नीतू भिवानी की रहने वाली हैं। उन्होंने विजेंदर सिंह को देखकर बॉक्सर बनने का सपना देखा था।साल 2012 में उन्होंने अपने खेल के सफर की शुरुआत की थी। हालांकि शुरुआत अच्छी नहीं हुई थी। वह स्टेट लेवल पर 3 साल तक कुछ कमाल नहीं कर पाई थी। लेकिन उनके पिता ने उनके हौंसले को कम नहीं होने दिया। नीतू के पिता हर वक्त अपनी बेटी के साथ रहते थे।
नीतू के पिता खेल का खर्चा उठाने में खूब संघर्ष कर रहे थे। पिछले चार साल से वह छुट्टी पर हैं जिसके लिए उन्हें नोटिस भी मिला है। बेटी के साथ रहने के कारण वह नौकरी पर नहीं जा पा रहे थे। ऐसे में पैसों की बहुत तंगी भी हुई थी। जय भगवान ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से कर्ज लिया हुआ था। कर्ज चुकाने के लिए उन्हें अपनी कार तक बेचनी पड़ी थी। वह अपनी बेटी की ट्रेनिंग में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे।
साल 2015 में एक एक्सीडेंट के कारण उनकी सर्जरी हुई थी। इस दौरान उन्हें काफी दर्द का सामना करना पड़ा था। हालांकि पिता यहां भी बेटी के साथ देते हुए नजर आए थे। वहीं साल 2019 में वह फिर चोटिल हो गई थी जिसके बाद उन्होंने रिंग से दूरी बना ली थी। कोरोना के दौरान नीतू खेतों में प्रेक्टिस करती थीं।
नीतू को करियर की पहली बड़ी कामयाबी मिली थी साल 2016 में। जी हाँ! ग्वालियर में हुए स्कूल गेम्स में नीतू ने गोल्ड मेडल हासिल किया था। वहीं उसी साल गुवाहाटी में वर्ल्ड यूथ चैंपियन भी रहीं। इसके बाद एशियन यूथ चैंपियनशिप में भी गोल्ड जेता। साल 2021 में उन्होंने सीनियर टीम में वापसी की और इसी साल स्ट्रैंजा मेमोरियल में मेडल अपने नाम किया था। और अब तो नीतू कॉमनवेल्थ चैंपियन भी बन चुकी हैं।
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