माता-पिता थे वाॅलीबाॅल खिलाड़ी, "गोल्ड गर्ल सिंधु" ने क्यों चुना बैडमिंटन

नई दिल्ली: भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों के 10वें दिन पांच स्वर्ण, चार रजत और छह कांस्य समेत कुल 15 पदक जीते हैं। बॉक्सिंग में निखत ज़रीन, अमित पंघाल और नीतू ने खूब अच्छा प्रदर्शन किया। वहीं, ट्रिपल जंप में अल्डहॉस और अब्दुल्ला ने भी देश को पदक दिलाया। बैडमिंटन में महिला एकल का फाइनल मुकाबला जल्द शुरू हो गया है।भारत की पीवी सिंधु का सामना कनाडा की मिशेल ली से हुआ। सिंधु इस प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन किया और यह मैच जीतकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। और ये उनका कॉमन वेल्थ गेम में पहला गोल्डा है। वहीं, हारने वाली खिलाड़ी को रजत पदक के साथ संतोष करना पड़ा। इस खबर में हम आपको पीवी सिंधु से जुड़ी चीजों के बारे मैं बताएंगे।

कौन हैं पीवी सिंधु

पीवी सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 में आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में हुआ। उनका पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु है। सिंधु के माता पिता दोनों ही राष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं। पीवी सिंधु के पिता का नाम पीवी रमना है, जिन्होंने 1986 के सियोल एशियाई खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। सिंधु का मां पी विजया भी प्रोफेशनल वाॅलीबाॅल खिलाड़ी थीं। यही कारण है कि बचपन से ही खेल के प्रति सिंधु की रुचि रही है। सिंधु की एक बहन हैं जिनका नाम पीवी दिव्या है।

पीवी सिंधु की शिक्षा

सिंधु ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा औक्सिलियम हाई स्कूल से पूरी की थी। आगे की पढ़ाई के लिए पीवी सिंधु ने ने सेंट एंस कॉलेज फॉर वुमेन, मेह्दीपटनम से एमबीए की पढ़ाई की थी।

पीवी सिंधु ने क्यों चुना बैडमिंटन?

सिंधु ने आठ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। दरअसल माता पिता दोनों वॉलीबॉल खिलाड़ी थे लेकिन सिंधु का लगाव बैडमिंटन की ओर था। वह पुलेला गोपीचंद की सफलता से प्रभावित थीं। पुलेला गोपीचंद ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन थे।

इसीलिए ली बैडमिंटन ट्रेनिंग

सिंधु ने बैडमिंटन की ट्रेनिंग सिकंदराबाद में इंडियन रेल्वे इंस्टिट्यूट ऑफ़ सिग्नल इंजीनियरिंग एंड टेलीकम्यूनिकेशन में मेहबूब अली की देखरेख में शुरू की। बाद में पुलेला गोपीचंद की बैडमिंटन अकादमी में दाखिला लिया। कोचिंग कैंप सिंधु के घर से 56 किलोमीटर दूर था, लेकिन वह रोज समय पर ट्रेनिंग ग्राउंड में पहुंचती थीं।

सिंधु का करियर

पीवी सिंधु ने अखिल भारतीय रैंकिंग चैम्पियनशिप और सब-जूनियर नेशनल जैसे जूनियर बैडमिंटन खिताब अपने नाम किये हैं। इसके बाद वह अंतरराष्ट्रीय लेवल की खिलाड़ी बनी। साल 2009 में सिंधु ने सब-जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। वहीं एक साल बाद ईरान में अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन चैलेंज में एकल रजत जीता था। ये पीवी सिंधु की लगन और मेहनत का ही नतीजा ही था कि साल 2012 एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में उन्होंने एक बार फिर जीत अपने नाम की।

पीवी सिंधु की नौकरी

भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के हैदराबाद कार्यालय में पीवी सिंधु सहायक खेल प्रबंधक के रूप में साल 2013 जुलाई से काम किया करती थीं। रियो ओलंपिक में पदक हासिल करने के बाद बीपीसीएल ने उप खेल प्रबंधक के तौर पर उनका प्रमोशन किया था। साथ ही सिंधु को ब्रिजस्टोन इंडिया का पहला ब्रांड एंबेसडर भी नियुक्त किया गया था। सिंधु घरेलू प्रीमियर बैडमिंटन लीग में हैदराबाद हंटर्स की कप्तान भी हैं।

रंग लाई सिंधु की मेहनत

साल 2016 में हुए रियो ओलंपिक में पीवी सिंधु ने रजत पदक अपने नाम किया था। वहीं टोक्यो ओलंपिक 2020 में सिंधु ने कांस्य पदक हासिल किया था। इस तरह सिंधु ने लगातार दो ओलंपिक में पदक जीतने वाली एकमात्र महिला खिलाड़ी का खिताब हासिल किया। सिंधु 2018 राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह में भारत की ध्वजवाहक रह चुकी हैं। साथ ही आज उन्होंने कामनवेल्थ में गोल्ड जीतकर देश का नाम फिर रोशन कर दिया है।

 

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