नई दिल्ली: फुटबॉल की दुनिया में तकनीकी नवाचार का एक और अध्याय जुड़ने जा रहा है। प्रीमियर लीग में अब ‘सेमी-ऑटोमेटेड ऑफसाइड टेक्नोलॉजी’ (SAOT) का उपयोग किया जाएगा, जिससे खेल में अधिक सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। यह नई प्रणाली 12 अप्रैल से प्रभावी होगी, जिससे ऑफसाइड के फैसले ज्यादा स्पष्ट और विवादरहित हो सकेंगे। इससे पहले, इस तकनीक को एफए कप के पांचवें दौर में परखा जा चुका है।
प्रीमियर लीग ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि पहले वीडियो असिस्टेंट रेफरी (VAR) के जरिए ऑफसाइड निर्णय लिए जाते थे। अब यह नई तकनीक VAR को और अधिक सक्षम बनाएगी और फैसलों में तेजी लाएगी। इस नई तकनीक में खिलाड़ियों की मूवमेंट को ट्रैक किया जाएगा और वर्चुअल ग्राफिक्स के माध्यम से स्टेडियम में मौजूद दर्शकों को भी बेहतर अनुभव मिलेगा। प्रीमियर लीग ने अपने बयान में कहा, “सेमी-ऑटोमेटेड तकनीक वर्चुअल ऑफसाइड लाइन की अधिक सटीक स्थिति प्रदान करती है, जिससे रेफरी और VAR टीम को निर्णय लेने में सहायता मिलती है।”
प्रीमियर लीग क्लबों ने इस तकनीक को अपनाने पर पहले ही सहमति जता दी थी, और इसे पिछले वर्ष ही लागू किया जाना था। हालांकि, प्रारंभिक परीक्षण के दौरान कुछ तकनीकी कमियां सामने आईं, जिसके चलते इसे लागू करने में देरी हुई। इस तकनीक को विकसित करने में प्रीमियर लीग ने PGMOL (प्रोफेशनल गेम मैच ऑफिशियल्स लिमिटेड) और जीनियस स्पोर्ट्स जैसी प्रतिष्ठित टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ सहयोग किया।
इस प्रणाली का पहले 2022 फीफा वर्ल्ड कप और यूईएफए चैंपियंस लीग में सफलतापूर्वक उपयोग किया जा चुका है। इसके अलावा, पिछले साल आयोजित एएफसी एशियन कप में भी इस तकनीक को अपनाया गया था।फुटबॉल में तकनीकी सुधार से खेल की निष्पक्षता और रोमांच में इजाफा होगा। प्रीमियर लीग में इस नई व्यवस्था का स्वागत किया जा रहा है, और यह तकनीक आने वाले वर्षों में फुटबॉल की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
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