नई दिल्ली : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रही टेस्ट सीरीज ( बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी ) को मौजूदा वक्त की सबसे बड़ी क्रिकेट जंग माना जाता है. दोनों टीमें बेहतरीन खिलाड़ियों से सजी हुईं जो मैदान पर जीत के लिए पूरी जान लगा रही हैं. खेल के साथ-साथ जुबानी जंग का भी कहानी चल […]
नई दिल्ली : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रही टेस्ट सीरीज ( बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी ) को मौजूदा वक्त की सबसे बड़ी क्रिकेट जंग माना जाता है. दोनों टीमें बेहतरीन खिलाड़ियों से सजी हुईं जो मैदान पर जीत के लिए पूरी जान लगा रही हैं. खेल के साथ-साथ जुबानी जंग का भी कहानी चल रही है. इस बार जब बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी शुरू हुई तो बात ऑस्ट्रेलिया की साख की थी, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया नंबर-1 टेस्ट टीम है. लेकिन पिछले दो दशक से भारत में जीत नसीब नहीं हो पाई है.
भारत आने से पहले ऑस्ट्रेलियाई टीम के मन में एक खौफ था, जो अश्विन को लेकर था. भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में अश्विन नंबर-2 पर आते हैं, सबसे तेज़ 450 टेस्ट विकेट लेने के मामले में अश्विन नंबर-1 पर आते हैं. टर्निंग पिचों पर अश्विन को खेल पाना सबसे मुश्किल है.
रविचंद्रन अश्विन की मास्टरक्लास कैसे पिच पर अपना काम करती है, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम ने सीरीज शुरू होने से पहले एक डुप्लीकेट अश्विन को हायर किया था, ताकि वह कुछ समझ पाएं. ऑस्ट्रेलियाई टीम का ये पैंतरा फेल साबित हुआ और असली रविचंद्रन अश्विन के सामने वह टिक नहीं पाए.
नागपुर की पिच को लेकर पहले से ही कहा जा रहा था कि यह स्पिनर्स के लिए मददगार है और ऐसा दिखा भी. दोनों ही टीमों की ओर से स्पिनरों ने इस मैच में सबसे ज्यादा विकेट लिए. लेकिन अश्विन यहां किस तरह अलग हो गए? नागपुर टेस्ट मैच के आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि रविचंद्रन अश्विन कहां सबसे आगे निकल गए.
ऑस्ट्रेलिया के 2 स्पिनरों ने नागपुर टेस्ट में आठ विकेट लिए, इधर अश्विन ने अकेले ही इस मैच में 8 विकेट ले लिए. लायन और टॉड मर्फी ने पूरे मैच में 96 ओवर डाले और करीब 72 बॉल प्रति विकेट के हिसाब से बॉलिंग की. लेकिन अश्विन के साथ ऐसा नहीं था, उन्होंने करीब 28 ओवर ही डाले और उन्हें एक विकेट के लिए 21 बॉल फेंकनी पड़ीं.
अश्विन और ऑस्ट्रेलिया के स्पिनर्स एक ही पिच पर बॉलिंग कर रहे थे, फिर इसमें अलग क्या हुआ? यहां ये तर्क काम करेगा कि अश्विन को भारतीय पिचों का काफी अनुभव है, वह 50 से अधिक टेस्ट मैच यहां खेल चुके हैं. लेकिन नागपुर टेस्ट में अश्विन के बॉल करने के तरीके ने बता दिया कि वह यहां क्यों सफल साबित हुए.
इस मैच में अश्विन ने अधिकतर बॉल फुल लेंथ पर फेंकी, ताकि बल्लेबाज ड्राइव के लिए आ सकें. रविचंद्रन अश्विन ने खुद बताया कि ऐसा करना क्यों ज़रूरी थी. अश्विन ने मैच के बाद रवि शास्त्री से बात करते हुए कहा कि यह पिच काफी स्लो थी, इसलिए ये जरूरी था कि बल्लेबाज को आगे आकर ड्राइव करने के लिए बुलाया जाए. मेरे लिए यही बेहतर था कि मैं कुछ बॉल ऐसी डालूं जो ड्राइव वाली हों जहां पिच पर कैरी और बाउंस कुछ हदतक लो हो तो यही काम आता है.
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