मुंबई : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2023 की अभी शुरूआत भी नहीं हुई है,लेकिन उससे पहले ही पिच को लेकर विवाद शुरू हो गया है. 4 मैचों की इस टेस्ट सीरीज का पहला मैच 9 फरवरी से नागपुर में खेला जाना है. भारत में जब भी कोई टेस्ट सीरीज खेली जाती है […]
मुंबई : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2023 की अभी शुरूआत भी नहीं हुई है,लेकिन उससे पहले ही पिच को लेकर विवाद शुरू हो गया है. 4 मैचों की इस टेस्ट सीरीज का पहला मैच 9 फरवरी से नागपुर में खेला जाना है. भारत में जब भी कोई टेस्ट सीरीज खेली जाती है उससे पहले पिच को लेकर बहस शुरू हो जाती है. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया 2 देश ऐसे हैं, जो सबसे ज्यादा स्पिन पिचों को लेकर शिकायत करते है. भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने पिच को लेकर ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और पूर्व क्रिकेटरों के रोने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
पिछले महीने ही ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर इयान हीली ने कहा था कि अगर भारत 2017 की तरह ही बिना मतलब वाली पिच बनाता है तो ऑस्ट्रेलिया यह टेस्ट सीरीज कभी नहीं जीत पाएगी. इसके बाद से ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और कुछ पूर्व क्रिकेटरों ने पिच को लेकर भारतीय टीम को टारगेट किया है.सुनील गावस्कर को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आई है. सुनील गावस्कर ने इसको लेकर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलिया को इस तरह से रोने का कोई हक नहीं है.
गावस्कर ने अपने कॉलम में लिखा, ऑस्ट्रेलिया ने माइंडगेम खेलना शुरू कर दिया और पिच को लेकर विवाद करना शुरू कर दिया है. उन्होंने इसको लेकर बात की कि हमने पिछले दौरे पर किस तरह की पिच बनाई थी. ब्रिसबेन में साउथ अफ्रीका के खिलाफ मैच ऑस्ट्रेलिया ने 2 दिन में खत्म कर दिया था. यहां बात सिर्फ यह नहीं कि मैच 2 दिन में खत्म हो गया, बल्कि बात यह है कि किस तरह की पिच तैयार की गई थी. जिस तरह से गेंद इधर-उधर उछलकर जा रही थी, वह खिलाड़ियों की जिंदगी और उनके शरीर के लिए खतरनाक था. वहीं स्पिन पिचों पर बस बल्लेबाज की प्रतिष्ठा दांव पर लगी होती है, ना कि खिलाड़ियों की जिंदगी और उनके अंग.
ब्रिसबेन टेस्ट मैच में कुल 143 ओवर का मैच हो पाया था.साउथ अफ्रीका ने 152 और 99 रन बनाए थे. वहीं ऑस्ट्रेलिया ने 218 और 4 विकेट पर 35 रन बनाए थे. सुनील गावस्कर ने आगे लिखा कि ब्रिसबेन में 2 दिन में खत्म हुए टेस्ट मैच ने दिखा दिया कि दोनों टीमों के बेस्ट से बेस्ट बल्लेबाजों के कलेजे भी मुंह में आ गए थे. ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में तब कुछ लोगों ने कहा था कि यह बल्लेबाजों का खेल है, तो ऐसे में गेंदबाजों को ऐसी पिचों पर कुछ मौका मिलता है. अगर ऐसा है तो सबकॉन्टिनेन्ट की पिच को लेकर क्यों किचकिच करनी. स्पिन खेलना किसी भी बल्लेबाज के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है. क्योंकि इससे बल्लेबाजों के फुटवर्क का टेस्ट होता है. इसलिए सबकॉन्टिनेन्ट में जो बल्लेबाज शतक बनाते हैं या बड़ा स्कोर बनाते है उन्हें महान बल्लेबाज समझा जाता है.
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