अच्छा समय ज्यादा दिन नहीं टिकटा है एशियन गेम्स 2018 में सेपक टकरा स्पर्धा टीम में भारत के लिए बॉन्ज मेडल जीतने वाले हरीश कुमार चाय बेंच रहे हैं. उनके परिवार की कमाई का एक मात्र जरिया उनके पिता की चाय की दुकान है. राज्य सरकार ने भी अभी हरीश के लिए किसी ईनाम की घोषणा नहीं की है.
नई दिल्ली. 18वें एशियाई खेलों में भारत ने अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन किया. भारत ने इंडोनेशिया में आयोजित 18वें एशियाई खेलों में कुल 69 पदक जीते थे. जिनमें 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य पदक शामिल थे. भारतीय दल में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों में एक हरीश कुमार नाम के खिलाड़ी भी शामिल थे जिन्होंने सेपक टकरा टीम इवेंट में देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता था.
इंडोनेशिया से वापस आने के बाद उनका जोरदार स्वागत किया गया लेकिन अच्छा वक्त ज्यादा देर टिकता नहीं जल्दी गुजर जाता है. इस समय हरीश कुमार चाय बेचने पर मजबूर हैं. हरीश के मुताबिक, पिता जी चाय की दुकान चलाते हैं, जो हमारे परिवार की कमाई का एक मात्र जरिया है, परिवार बड़ा है मेरी दो बहने हैं दोनी ही नेत्रहीन हैं इसलिए वापस आने के बाद पिता की मदद कर रहा हूं ताकि कमाई बढ़ सके.
वहीं हरीश से जब ये पूछा गया कि आपके पदक जीतने पर सरकार की तरफ से कोई नौकरी ऑफर की गई या नहीं इसके जवाब में हरीश ने कहा कि इस मसले पर सरकार का रुख अभी साफ नहीं है. 23 साल के इस होनहार खिलाड़ी ने हरीश ने अपनी हरीश, संदीप, धीरज, ललित के साथ इंडोनेशिया में सेपक टकरा टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था.
एशियन गेम्स में पदक जीतने पर जहां कई राज्य सरकारों ने अपने खिलाड़ियो ंपर ईनाम की बारिश. इस मामले में हरियाणा ने अपने खिलाड़ियों पर सबसे ज्यादा ईनाम लुटाया. वही दूसरी तरफ हरीश कुमार जैसे खिलाड़ी भी हैं जिन्हें अपने राज्य की सरकार की तरफ से अभी तक कुछ भी नहीं दिया गया है.