18वें एशियाई खेलों में कबड्डी में दक्षिण कोरिया ने भारत को 23-24 से हरा दिया. इसके साथ ही भारत की कबड्डी में चुनौती खत्म हो गई. एशियाई खेलों में भारतीय कबड्डी टीम इससे पहले कभी नहीं हारी थी. भारत की एशियाड में ये पहली हार है. इससे पहले दक्षिण कोरिया की टीम भारतीय कबड्डी टीम से कभी एशियाई खेलों में नहीं जीती थी.
नई दिल्ली. 18वें एशियाई खेलों में भारत की कबड्डी में पदक जीतने की उम्मीदें चूर-चूर हो गईं. एशियाड में अब तक अजेय रही भारतीय टीम की उम्मीदों पर दक्षिण कोरिया ने पानी फेर दिया. 18वें एशियाई खेलों के आज दूसरे दिन मजबूत मानी जाने वाली भारतीय पुरुष कबड्डी टीम को दक्षिण कोरिया की पुरुष कबड्डी टीम ने 23-24 से हरा दिया.
एशियाड में ऐसा पहली बार हुआ जब भारतीय पुरुष कबड्डी टीम को हार का सामना करना पड़ा. इससे पहले भारतीय पुरुष कबड्डी टीम ने श्रीलंका और बांग्लादेश के खिलाफ ग्रुप मैचों में जीत हासिल की थी, वहीं तीसरे मैच में दक्षिण कोरिया की टीम ने भारत के विजय रथ को थाम दिया.
एशियाई खेलों के इतिहास में भारत की यह पहली हार है। इससे पहले पुरुष वर्ग कबड्डी में भारत ने हर बार जीत दर्ज की है। भारतीय टीम के नाम 7 गोल्ड मेडल जीते हैं. दक्षिण कोरिया भारत को कभी कबड्डी में हरा नहीं पाया था. एशियाई खेलों में दक्षिण कोरिया की भारत पर पहली जीत है.
दक्षिण कोरिया ने मैच की शुरुआत से ही भारतीय टीम पर अपनी पकड़ बनाकर रखी. दोनों टीमों के रेडर और डिफेंडर बराबर दमखम लगा रहे थे. भारतीय कबड्डी खिलाड़ियों से अच्छी तरह वाकिफ दक्षिण कोरिया जांग कुन ली के अनुभव का फायदा दक्षिण कोरिया को मिला और अंत में उसने एक अंक से जीत हासिल की।
भारतीय कबड्डी टीम ने शुरू में जरुर आक्रामक रुख अख्तियार किया लेकिन कोरियाई खिलाड़ियों ने अंतिम समय में शानदार डिफेन्स का प्रयोग करते हुए भारत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. इसी साल भारत और दक्षिण कोरिया के बीच दुबई में मास्टर्स कबड्डी प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में मुकाबला हुआ था। यहां टीम इंडिया ने दक्षिण कोरिया को आसानी से हराकर फाइनल में जगह बनाई थी।
भारतीय टीम को इस मैच में अपने अनुभवी खिलाड़ियों की कमी का एहसास हुआ.18वें एशियाई खेलों के लिए जब भारतीय पुरुष कबड्डी टीम का चयन किया गया तो उस समय कुछ स्टार खिलाड़ियों को बाहर कर दिया गया. टीम के अहम डिफेंडर सुरेंदर नाडा, सुरजीत सिंह को एशियन गेम्स के लिए टीम में जगह नहीं दी गई. ये दोनों भारत के सबसे सफल डिफेंडर माने जाते हैं. इसके अलावा मंजीत छिल्लर भी टीम में जगह नहीं बना पाए थे.
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