मुक्केबाजी बहुत ही कठिन खेल है, क्योंकि यह कौशल, सहनशक्ति और तकनीक सभी के साथ खेला जाता है। बॉक्सिंग जुनून रहा है और अब उसके लिए पेशा है। 18 जुलाई, 1994 को हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के ढोटू गांव में पैदा हुए। उन्होंने बॉक्सिंग को अल्पायु में ही अपना लिया था.
मुक्केबाज़ आशीष कुमार ने टोक्यो ओलिम्पिक के लिए क्वालीफाई करके उम्मीदें जगा दी हैं। हिमाचल के मंडी ज़िले का यह मुक्केबाज़ केरल में आयोजित नैशनल गेम्स में मिडिलवेट वर्ग में गोल्ड जीतकर सबसे पहले सुर्खियों में आया। जब उन्होंने बैंकॉक में एशियाई चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीता तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। वर्तमान में वह हिमाचल सरकार के साथ बतौर तहसील कल्याण अधिकारी कार्यरत हैं लेकिन आजकल करीब 2-3 घंटे सुबह और शाम पटियाला में अभ्यास कर रहे हैं। पिछले दिनों आज समाज के साथ बातचीत में आशीष कुमार ने कहा कि बिग बाउट लीग का अनुभव उन्हें आगे की प्रतियोगिताओं में काफी कारगर साबित हुआ।
आशीष ने कहा कि उन्हें खेलों का शौक विरासत में मिला। उनके पिता राष्ट्रीय स्तर के कबड्डी खिलाड़ी थे और उनके दो चचेरे भाई जॉनी चौधरी और संदीप चौधरी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान हैं। उन्होंने कहा कि इन दिनों वह एनआईएस, पटियाला में नैशनल कैम्प में ट्रेनिंग ले रहे हैं। साथ ही उनका यह भी कहना है कि जब वह कैम्प में पहली बार आए तो वह औसत दर्जे के मुक्केबाज़ थे लेकिन सभी कोचों और डॉक्टरों के कुशल मार्गदर्शन में मेरे खेल में सुधार हुआ। इन कोचों ने हमारे अंदर सहनशक्ति विकसित की।
आशीष यह बात दावे से कहते हैं कि मुक्केबाज़ी के खेल में आधा हिस्सा कोचों पर निर्भर होता है क्योंकि वे खिलाड़ियों की क्षमता से पूरी तरह वाकिफ होते हैं। मुक़ाबले के दौरान ब्रेक टाइम में उनके निर्देश काफी मददगार साबित होते हैं। ओलिंपिक पदक के मुद्दे उनका कहना है कि उन्हें ओलिंपिक पदक जीतने का भरोसा है।
पिछले साल बिग बाउट सीजन-1 के बारे में उन्होंने बताया कि दिग्गज अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजों वाली यह प्रतियोगिता उनके लिए कई तरह से भाग्यशाली रही। वह पिछले साल मिडिलवेट कैटेगरी में विजेता थे। बिग बाउट लीग शानदार एक्सपोजर था जहां वह एक ही मंच पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजों के साथ खेले जिसके रहते उन्हें वास्तव में अंतरराष्ट्रीय पहचान और बड़ी मात्रा में आत्मविश्वास हासिल हुआ जो उनके काफी काम आया।
आशीष माइक टायसन, मोहम्मद अली, फ्लॉयड मेवेदर, लोमचेंको जैसे महान मुक्केबाजों से बहुत अधिक प्रेरित हैं और मुक्केबाजी के क्षेत्र में उन्होंने जो हासिल किया, उसे हासिल करने के लिए आशीष हमेशा इन दिग्गज मुक्केबाजों की अच्छी जीवनशैली तथा खेलने की तकनीक का नियमित रूप से अनुसरण करते हैं।
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