Anshuman Gaikwad Exclusive: पूर्व भारतीय खिलाड़ी और मशहूर क्रिकेट विश्लेषक अंशुमन गायकवाड ने कोरोना काल में क्रिकेट के स्वरूप और इंग्लैंड-वेस्टइंडीज टेस्ट पर बड़ा बयान दिया है. अंशुमान गायकवाड़ ने कहा कि टेस्ट क्रिकेट का वैसे भी बहुत दबाव होता है लेकिन कोरोना काल में खिलाड़ियों के लिए क्रिकेट खेलना भी काफी चुनौतीपूर्ण होगा. उनमें एक अलग तरह का डर भी होगा. खिलाड़ी सम्भलकर खेलेंगे.
Anshuman Gaikwad Exclusive: बुधवार को इंग्लैंड और वेस्टइंडीज़ के साउथैम्पटन में खेले जा रहे टेस्ट क्रिकेट के साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की बहाली हो जाएगी लेकिन अफसोस यह है कि पहले दिन का खेल बुरी तरह बारिश से प्रभावित हुआ है. इस बार क्रिकेट बदला-बदला सा दिखाई देगा. दर्शक अपने सामने क्रिकेट को मिस करेंगे और क्रिकेटर भी दर्शकों को मिस करेंगे. स्लाइवा के इस्तेमाल नहीं होगा. सोशन डिस्टेंसिंग नार्मस का कितना खिलाड़ी पालन कर पाएंगे, ये भी देखने वाली बात होगी.
टेस्ट क्रिकेट का वैसे भी बहुत दबाव होता है लेकिन कोरोना काल में खिलाड़ियों के लिए क्रिकेट खेलना भी काफी चुनौतीपूर्ण होगा. उनमें एक अलग तरह का डर भी होगा. खिलाड़ी सम्भलकर खेलेंगे. ऐसे में वे क्या अपना शत-प्रतिशत प्रदर्शन कर पाएंगे, ये देखना दिलचस्प रहेगा. इस पर प्रतिक्रियाएं भी अलग-अलग तरह की मिलेंगी. दोनों टीमें जीत से पहले सम्भलकर खेलेंगी.
इंग्लैंड और वेस्टइंडीज़ के बीच जब भी सीरीज़ होती है, काफी रोमांचक होती है. पिछली बार वेस्टइंडीज़ ने इंग्लैंड को हराया था. दरअसल, इंग्लैंड अक्सर वेस्टइंडीज़ को हल्के से लेने की भूल कर बैठता है. वहीं वेस्टइंडीज़ की टीम इंग्लैंड के साथ पूरी क्षमताओं के साथ खेलती है क्योंकि वह जानती है कि उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है. वैसे भी पिछली बार वेस्टइंडीज़ अपने घर में सीरीज़ जीता है. उसके खिलाड़ियों में निरंतरता की कमी है. एक खिलाड़ी अगर डबल सेंचुरी बनाता है तो अगली पारियों में उससे 50 रन की उम्मीद नहीं की जा सकती लेकिन वहीं इंग्लैंड अपने देश में काफी मज़बूत है. ठीक उसी तरह जैसे ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड भी अपने देश में काफी मज़बूत हैं. इंग्लैंड के खिलाड़ी अपनी कंडीशंस का फायदा उठाने का कोई मौका नहीं चूकते.
इनमें इंग्लैंड का अटैक काफी अच्छा है. बेशक इंग्लैंड ने अपनी टीम में बेन स्टोक सहित कुल छह तेज़ गेंदबाज़ों को जगह दी है लेकिन मेरे ख्याल से इनमें दो तेज़ गेंदबाज़ और एक बेन स्टोक के रूप में ऑलराउंडर और एक स्पिनर खेलेगा. जेम्स एंडरसन, जोफ्रा आर्चर के खेलने की सम्भावना अधिक है. इनके अलावा ज़्यादा से ज़्यादा क्रिस वोक्स को टीम में जगह दी जा सकती है. एंडरसन जहां खासकर अपने देश में बेहद खतरनाक हैं तो वहीं जोफ्रा आर्चर का इस समय ज़बर्दस्त जलवा है. बाकी क्रिस वोक्स भी एकोरेट बॉलर हैं. उनकी गेंदबाज़ी में विविधता भी है और उनकी प्रवृति फाइटर किस्म की है. गेंदबाज़ी मज़बूत होने की वजह से इंग्लैंड नए युवा चेहरों को अवसर दे सकता है.
इस सीरीज़ में जो रूट का निजी कारणों से न खेलना युवा खिलाड़ियों के लिए सुनहरा अवसर है. बेशक वह आज दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाज़ों में से एक हैं लेकिन युवा खिलाड़ी तभी आगे आएंगे जब उन्हें मौका मिलेगा. जिन दिनों में भारतीय टीम में था, तब यह कहा जाता था कि गावसकर और विश्वनाथ जब नहीं होंगे तो भारतीय क्रिकेट का क्या होगा लेकिन जब बाकियों को मौका मिला तो उन खिलाड़ियों ने बखूबी अपनी जगह को सुरक्षित किया. इससे भारतीय क्रिकेट समृद्ध हुआ. ये इंग्लैंड के जैक क्राले जैसे युवा खिलाड़ियों के लिए सुनहरा मौका है. बाकी बेन स्टोक्स को पहली बार कप्तानी करते देखना अच्छा लगेगा. जो रुख उनका अपनी बल्लेबाज़ी के दौरान देखने को मिला और वह जिस तरह अपनी अच्छी सूझबूझ का परिचय देते हैं, वही कुछ उन्हें इस बार कप्तानी में करके दिखाना होगा. मुझे नहीं लगता कि ऐसा क्रिकेटर अपने ऊपर किसी तरह के दबाव को हावी होने देगा.
जहां तक वेस्टइंडीज़ टीम का सवाल है. मेरे ख्याल से कीमो पाल पहले टेस्ट की प्लेइंग इलेवन में नहीं होंगे. कैमर रॉच, गैब्रिएल और होल्डर के रूप में तीन तेज़ गेंदबाज़ और रोस्टन चेज़ के रूप में एक ऑलराउंडर प्लेइंग इलेवन में जगह बनाएगा. हैटमायर और ब्रावो जैसे खिलाड़ियों की कमी उसे महंगी पड़ सकती है लेकिन वहीं उसके भी नए खिलाड़ियों के लिए यह सुनहरा अवसर है. वेस्टइंडीज़ के बल्लेबा़ज़ अक्सर 30 से 40 रन बनाते हैं लेकिन ये भी सच है कि उनमें धैर्य की कमी है.अगर उन्हें खुलकर रन बनाने का मौका नहीं मिलता तो वह आपा खो बैठते हैं, जिससे उनका विकेट चटकाना आसाना हो जाता है.