खेल

कुस्ती के सख्त नियमों की भेंट चढ़ी एक और भारतीय पहलवान

नई दिल्ली : भारतीय पहलवान रितिका हुड्डा पेरिस ओलंपिक के 76 किग्रा महिला कुश्ती क्वार्टर फाइनल में किर्गिस्तान की अयापेरी किजी के खिलाफ ड्रॉ के बाद आखिरी अंक गंवाने से हार गईं। अपना पहला ओलंपिक खेल रही 21 वर्षीय रितिका ने शीर्ष वरीयता प्राप्त पहलवान को कड़ी टक्कर दी और निष्क्रियता के कारण शुरुआती दौर में एक अंक की बढ़त लेने में सफल रहीं। दूसरे दौर में कड़ी टक्कर देने के बावजूद रितिका ने ‘पैसिविटी” (अत्यधिक रक्षात्मक रवैया) के कारण एक अंक गंवा दिया जो मैच का आखिरी अंक साबित हुआ। स्कोर 1-1 से बराबर था, लेकिन आखिरी अंक हासिल करने के कारण प्रथम स्थान प्राप्त अयापेरी को मैच का विजेता घोषित किया गया। हालांकि रितिका ने अपने जज्बे से दिल जीत लिया।


नियमों के मुताबिक, मुकाबला बराबर होने पर आखिरी अंक हासिल करने वाले खिलाड़ी को विजेता घोषित किया जाता है। किर्गिस्तान की पहलवान अगर फाइनल में पहुंचती हैं तो रितिका के पास रेपेचेज से कांस्य पदक जीतने का मौका होगा। इस भार वर्ग में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली देश की पहली पहलवान रितिका ने इससे पहले तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर जीत दर्ज कर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी। इस ओलंपिक में कुश्ती के नियमों ने भारत की स्वर्ण पदक की उम्मीदों को बड़ा झटका दिया है।

30 सेकेंड में अंक हासिल करने की चुनौती

रितिका से पहले विनेश फोगाट भी पदक जीतने से चूक गई थीं। उनका वजन महज 100 ग्राम ज्यादा था और वह फाइनल नहीं खेल सकीं। नियमों के आधार पर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उन्होंने प्री-क्वार्टर फाइनल में हंगरी की बर्नाडेट नेगी को तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर 12-2 से हराया था। पहले दौर में रितिका 4-0 से आगे थीं लेकिन दूसरे पीरियड में उन्होंने शानदार प्रदर्शन कर आठवीं स्थान प्राप्त पहलवान को ज्यादा मौका नहीं दिया। रितिका ने रक्षात्मक खेल से शुरुआत की और हंगरी की पहलवान के हमले को शानदार तरीके से रोकने में सफल रहीं। इसके बाद रितिका को निष्क्रियता के कारण रेफरी ने चेतावनी दी और इस पहलवान के सामने अगले 30 सेकेंड में अंक हासिल करने की चुनौती थी। बर्नाडेट ने रितिका के पैर पर हमला किया लेकिन भारतीय पहलवान ने ‘फ्लिपिंग’ करके शानदार बचाव के बाद जवाबी हमले में दो बार दो अंक हासिल करने में सफल रही। शुरुआती दौर में 0-4 से पिछड़ रही हंगरी की पहलवान ने दो अंक हासिल करके वापसी की लेकिन रितिका ने इसके बाद उसे कोई मौका नहीं दिया। प्रतिद्वंद्वी को नीचे गिराकर दो अंक हासिल करने के बाद रितिका ने लगातार तीन बार अपने दांव पर दो अंक हासिल किए, जिससे रेफरी को 29 सेकंड पहले ही मैच रोकना पड़ा।

भारतीय नौसेना की अधिकारी

रितिका का जन्म रोहतक के खरकड़ा गांव में हुआ था। वह भारतीय नौसेना में अधिकारी हैं और चीफ पैटी ऑफिसर के पद पर तैनात हैं। रितिका का पेशेवर करियर बहुत लंबा नहीं है। उन्होंने 2022 में वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में 72 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता। इसके बाद इस खिलाड़ी ने 2023 में तिराना में आयोजित अंडर 23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। 2024 में ही रितिका ने एशियाई चैंपियनशिप में 72 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता। रितिका का सपना एक दिन भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतना था। रितिका के सपनों को पूरा करने के लिए उनकी मां और पिता ने भी उनका भरपूर साथ दिया। रितिका के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने रितिका की हर जरूरत का ख्याल रखा। रितिका हांग्जो एशियाई खेलों और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों दोनों के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाईं। रितिका इससे इतनी निराश हुईं कि उन्होंने कुश्ती छोड़ने का फैसला कर लिया। हालांकि, माता-पिता ने बेटी को काफी समझाया और उसे निराश न होने की सीख दी। कुछ समय बाद रितिका इससे उबर गईं और हार से प्रेरणा लेकर कड़ी मेहनत की। रितिका ने कड़ी मेहनत की और पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया और अब वह देश का नाम रोशन कर रही हैं।

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Manisha Shukla

पत्रकार हूं, खबरों को सरल भाषा में लिखने की समझ हैं। हर विषय को जानने के लिए उत्सुक हूं।

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